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- January 14, 2023
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blue economy kya he- ब्लू इकोनॉमी की तरफ भारत के बढते कदम ।
blue economy kya he- ब्लू इकोनॉमी की तरफ भारत के बढते कदम । blue economy kya he- खनिज जैसे संसाधनो…
blue economy kya he- ब्लू इकोनॉमी की तरफ भारत के बढते कदम ।
blue economy kya he- खनिज जैसे संसाधनो का पता लगाने के लिए भारत समुद्रयान मिशन के अंतर्गत एक अभियान शुरु कर रहा है। जिसमे 6 हजार मीटर की गहराई में जाकर 3 लोग रिसर्च करेंगे। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि , इन तीन लोगो को 6 हजार मीटर की गहराई में मत्स्य नामक पनडुब्बी लेकर जाएगी , जिसे राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई ने विकसित किया है।। यह मिशन अगले तीन वर्षो मे साकार होगा एसी संभावना व्यक्त की जा रही है।
तकरीबन 6 हजार मीटर की गहराई मे रिसर्च होगा।
अनेक मंत्रालयों के साथ मिलकर चलाया जा रहा डीप ओशन मिशन एक कार्यक्रम है, जिसमें गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर दिया गया है। इसके लिए मत्स्य पनडुब्बी का विकास राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा किया गया है। मत्स्य पनडुब्बी की सामान्य परिचालन स्थिति में 12 घंटे तक चलने की क्षमता है। साथ ही मानव सुरक्षा के लिए किसी आपात स्थिति में 96 घंटे तक चलने की क्षमता है।यह तीन लोग समुद्र में 6 हजार मीटर अंदर तक जाकर भारत के लिए संभावनाओं की तलाश कर समुंद्र की संसाधनों की जानकारी जुटाएंगे। ब्लू इकोनॉमी को विकसित करने के हिंद महासागर के प्रयास के क्रम में भारत ‘नीली क्रांति’ के साथ मछली उत्पादन में भी उत्साहजनक वृद्धि प्राप्त कर रहा है।
इसका जिक्र PM मोदी ने लाल किले से किया था।
2021 और 2022 में स्वतंत्रता दिवस संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने डीप ओशन मिशन का जिक्र किया था। इसको लेकर केंद्र ने पांच साल के लिए यह मिशन के लिए 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक के बजट को मंजूरी दी थी।इस अभियान का उद्देश्य केंद्र सरकार के ‘नए भारत’ के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। पीएम मोदी ने देश के किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया था तो पहली बार ‘हरित क्रांति’ और ‘श्वेत क्रांति’ के साथ ‘नीली क्रांति’ यानि ‘ब्लू इकोनॉमी’ की बात की थी और सरकार तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ रही है।
इकोनॉमी को मजबूत करेगा डिप ओशन मिशन ।
गहरे समुद्र में खनन और खनिज संसाधनों की खोज के लिए इस मिशन की शुरुआत की गई है। इसमें प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ 6,000 मीटर पानी की गहराई के लिए मानवयुक्त सबमर्सिबल का विकास शामिल है। यह मिशन गहरे समुद्र के स्थितियों ,जीवन अनुकूल ,अनु जैविक संघटकों का अध्ययन करेगा, जो पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति पर प्रकाश डालने का प्रयास करेगा। यह अध्ययन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से किया जा रहा है। इस मिशन की गतिविधियों से हिंद महासागर की ब्लू इकोनॉमी की क्षमता को विकसित करने में मदद मिलेगी।
ब्लू इकोनॉमी क्या है ?
गौरतलब है कि समुद्री मार्ग भी भारत के व्यापार का बड़ा हिस्सा है। जिसके चलते इस योजना का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को समुद्री क्षेत्र से जोड़ना है। ब्लू इकोनॉमी का पूरा बिजनेस मॉडल पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। भारत का 95 प्रतिशत से अधिक का कारोबार समुद्र के जरिए होता है। इस लिए नीली अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास कार्यक्रम का महत्वपूर्ण अंग है । इस कार्यक्रम के तहत 600 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का भारी निवेश होगा।