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- February 8, 2023
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होली में श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में 40 दिवसीय रंगोत्सव की होगी शुरुआत
होली रंगो का त्योहार। पूरे भारत में ये रंगो का त्योहार बडी धूमधाम से मनाया जाता हे। त्योहार एक मनाने…
होली रंगो का त्योहार। पूरे भारत में ये रंगो का त्योहार बडी धूमधाम से मनाया जाता हे। त्योहार एक मनाने की रीत अनेक। तो चलो आज बात करते हे भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा की व्रज होली की।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि यानी मथुरा और उसमें भी खासकर नंदगाम और बरसाना की होली अलग है। आज भी लोग अलग-अलग जगहों से व्रज होली देखने आते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां देश भर में होली और धुलेटी दो दिनों का त्योहार है, वहीं व्रज में होली का त्योहार डेढ़ महीने तक चलता है।
भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में 40 दिनों तक रंगोत्सव मनाया जाएगा, होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में एक अलग ही उत्साह है। वसंत पंचमी पर मथुरा के मंदिरों में इस रंगोत्सव की शुरुआत होती है, तो आइए जानते हैं 40 दिनों तक चलने वाले इस रंगोत्सव की अनोखी बातें।
परंपरा के अनुसार पुजारी वसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में सुबह की आरती के बाद होली के इस पर्व की शुरुआत भगवान को गुलाल से तिलक लगाकर करते हैं, इस दिन भक्तों पर गुलाल छिड़का जाता है। मंदिर में इसके लिए प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग किया जाता है। जिसे फूल की मदद से तैयार किया जाता है। इसके बाद रंगपंचमी के दिन इस रंगोत्सव का समापन होता है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही व्रज में पूरे मंदिर को पीले फूलों से सजाया जाता है। 40 दिनों तक चलने वाले इस अनोखे त्योहार का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त इस नगरी पहुंचते हैं। मथुरा में फुलेरा दूज से होली की शुरुआत होती है और इस दिन व्रज में भगवान श्रीकृष्ण साथ फूलों से होली खेली जाती है। इसके अलावा लाडू मार और लठमार होली का अलग ही मजा है। लट्ठमार होली के दिन लोग लाठियों से पिटने पर खुद को धन्य मानते हैं।