यहां के सैकड़ों गांवों में नहीं मनाया जाता रंगों का त्योहार होली, माना जाता है अशुभ, जानिए वजह

आज देशभर में होली का त्योहार मनाया जा रहा है। लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की बधाई दे रहे…

आज देशभर में होली का त्योहार मनाया जा रहा है। लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की बधाई दे रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड के 100 से ज्यादा गांवों में आज त्योहार के दिन भी लोग आम दिनों की तरह अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हैं। पिथौरागढ़ जिले के इन गांवों में आज भी होली के रंगों को अशुभ माना जाता है। ग्रामीणों का मानना ​​है कि होली मनाने से भगवान नाराज होंगे।

लोग होली के रंग को अशुभ मानते हैं

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और मुनशियारी के इन गांवों में लोग रंगों से दूर रहते हैं। धारचूला और मुनशियारी क्षेत्र के 100 से ज्यादा गांवों में आज भी होली नहीं मनाई गई है। त्योहार के दिन भी लोग आम दिनों की तरह अपने-अपने काम में लगे रहते हैं।

छिपला केदार देव से जुड़ी है

धारचूला के बारम गांव निवासी नरेंद्र सिंह बताते हैं कि इन गांवों के लगभग सभी लोग भगवान शिव और भगवती के रूप छिपला केदार देव की पूजा करते हैं। इन पहाड़ी गांवों के निवासी छिपला केदार कुंड की परिक्रमा करते हैं और पवित्र स्नान करते हैं, जिसे गुप्त कैलाश भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों का मानना ​​है कि रंग उनके देवताओं की भूमि को अपवित्र करेंगे। धारचूला के आंवल समुदाय और मुनशियारी के जौहर क्षेत्र के बरपटिया गांव के बसे आदिवासी समुदाय आज भी होली को लेकर पारंपरिक मान्यता रखते हैं।

छिपला केदार एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है

पिथौरागढ़ जिले के 100 से अधिक गांवों में ऐसी मान्यता है। छिपला केदार एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जहां हर 3 साल बाद श्रद्धालु आते हैं। ऐसा माना जाता है कि रंगों से खेलने से 16 हजार फीट की ऊंचाई पर गुप्त कैलाश कुंड से देवता अपवित्र हो जाएंगे।

होली खेलोगे तो आफत आएगी, जान भी जा सकती है

हरकोट गांव निवासी खुशाल हरकोटिया का कहना है कि रंगों का यह त्योहार अशुभ माना जाता है। बहुत से लोगों का मानना ​​है कि जो लोग इन क्षेत्रों में होली मनाने की कोशिश करते हैं। उन पर कोई विपत्ति आ पड़ती है। कहीं किसी के परिवार में मृत्यु हो सकती है या पशु चोरी जैसी घटना हो सकती है। एक ग्रामीण ने कहा कि यह स्थान भराडी देवी का स्थान है और यहां रंग वर्जित यानी प्रतिबंध है। हमारा मानना ​​है कि होली के साथ दुर्भाग्य जाग जाएगा। इसलिए हम रंगों से दूर रहते हैं।

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