देश की 155 नदियों के जल से रामलला के मंदिर का जलाभिषेक, बाबर की जन्मभूमि से भी आया जल

कोरोना के सबसे बुरे दौर में पवित्र जल इकट्ठा करने में ढाई साल से ज्यादा का समय लगा, रामल्लाह को…

कोरोना के सबसे बुरे दौर में पवित्र जल इकट्ठा करने में ढाई साल से ज्यादा का समय लगा, रामल्लाह को सात महाद्वीपों की 155 नदियों से लाए गए पानी की आपूर्ति की गई।

अयोध्या के राम मंदिर में रविवार दोपहर दुनिया के सात महाद्वीपों की 155 नदियों से लाए गए जल का जलाभिषेक किया गया। दिल्ली के पूर्व भाजपा विधायक विजय जॉली के नेतृत्व में दिल्ली स्थित एक एनजीओ ‘दिल्ली स्टडी ग्रुप’ के सदस्यों ने विभिन्न देशों के राजदूतों और एनआरआई के एक समूह की उपस्थिति में राम जन्मभूमि पर भगवान राम के दरबार में 155 कंटेनर पानी चढ़ाया। इस बीच, 40 से अधिक देशों के बड़ी संख्या में एनआरआई ने कार्यक्रम में भाग लिया।

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फिजी, मंगोलिया, डेनमार्क, भूटान, रोमानिया, हैती, ग्रीस, कोमोरोस, केप वर्डे, मोंटेनेग्रो, तुवालु, अल्बानिया और तिब्बत के राजनयिकों ने राम मंदिर में ऐतिहासिक राज्याभिषेक में भाग लिया। इसके अलावा भूटान, सूरीनाम, फिजी, श्रीलंका और कंबोडिया जैसे देशों के प्रमुखों ने भी इस काम की शुभकामना दी गई ।

पानी पाकिस्तान, चीन, रूस और यूक्रेन से भी आया

कार्यक्रम के संयोजक विजय जॉली ने अपने स्वागत भाषण में दावा किया कि अभिषेक के लिए प्रसिद्ध कशक नदी का पवित्र जल उज्बेकिस्तान के अंदिजान शहर से भी लाया गया था, जो मुगल सम्राट बाबर की जन्मस्थली है। इसके साथ ही इस अच्छे और पुन्य कार्य के लिए युद्धग्रस्त रूस और यूक्रेन से पानी और चीन और पाकिस्तान से भी पानी लाया गया है।

पानी एकत्र करने में ढाई साल से अधिक का समय लगा

पूर्व भाजपा विधायक ने कहा, यह घटना न केवल भारत के लोगों बल्कि दुनिया के नागरिकों की भगवान राम के आदर्शों के प्रति आस्था को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि कोरोना के सबसे बुरे दौर में पवित्र जल एकत्र करने में ढाई साल से अधिक का समय लग गया। जॉली ने दावा किया कि इस काम में न केवल हिंदुओं बल्कि दुनिया के सभी सात महाद्वीपों के मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों ने भी सहयोग किया। भाजपा नेता ने इसे ऐतिहासिक और अविस्मरणीय स्मृति करार दिया। इस दौरान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, विश्व हिंदू परिषद संरक्षक दिनेश चंद्रा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता रामलाल व इंद्रेश कुमार, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जे.जे. सिंह एवं जैन आचार्य लोकेश उपस्थित थे।

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