Karnataka Congress Meeting: सीएम की कुर्सी एक-दावेदार दो, दोनों को खुश करने के लिए कांग्रेस ने बनाया खास प्लान!

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने रविवार को अपने नए विधायकों की बैठक बुलाई है।…

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने रविवार को अपने नए विधायकों की बैठक बुलाई है। बता दें कि आज बुलाई गई सीएलपी की बैठक में राज्य का नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस पर फैसला होने की संभावना है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केपीसीसी प्रमुख डीके शिवकुमार वर्तमान में दौड़ में आगे चल रहे हैं।

Karnataka Congress Meeting: Give one claimant to CM's chair
ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने के फॉर्मूले

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, मध्य प्रदेश, पंजाब और अब राजस्थान में दो दिग्गज नेताओं के बीच की लड़ाई से सबक लेते हुए पार्टी दोनों नेताओं के बीच पांच साल के साझा कार्यकाल के लिए एक समझौता करने की कोशिश कर रही है। दोनों को ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने पर विचार किया जा रहा है।

सिद्धारमैया के बेटे ने पिता को सीएम बनाने की मांग की

शनिवार को जब चुनाव के नतीजे आ रहे थे तो सिद्धारमैया के बेटे ने अपने पिता को सीएम बनाने की मांग कर दी। दूसरी ओर, डी. के. शिवकुमार विजयी परिणामों के दौरान भावुक थे और उन्होंने कहा, “पार्टी कैडर ने कड़ी मेहनत की है और यह सामूहिक नेतृत्व का परिणाम है। मैं सिद्धारमैया सहित सभी नेताओं को धन्यवाद देता हूं। मैंने कांग्रेस नेतृत्व से वादा किया था कि मैं आपको कर्नाटक दूंगा।’ इसके साथ ही केपीसीसी अध्यक्ष ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कांग्रेस के लिए काफी कुर्बानी दी है। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 2019 में ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने हाथ मिलाने के बजाय जेल में रहना पसंद किया।”

दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई काफी पुरानी

कांग्रेस पार्टी में दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई काफी पुरानी है। हाल के वर्षों में कांग्रेस ने दो राज्यों में सत्ता गंवाई है। मध्य प्रदेश में, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच लड़ाई में पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया गया था। सिंधिया 25 से अधिक विधायकों के साथ विद्रोह में भाजपा में शामिल हो गए। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए सत्ता की राह आसान हो गई। ऐसी ही जंग पंजाब में भी देखने को मिली। कांग्रेस ने पहले अपने दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को यहां नजरअंदाज किया था। इसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू की लड़ाई में भी कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ।

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