मणिपुर के विद्रोही समूह UNLF ने हिंसा का रास्ता छोड़ शांति समझौते पर किए हस्ताक्षर, सरकार ने बताया ऐतिहासिक

शांति स्थापित करने के लिए मणिपुर हिंसा के बाद राज्य और केंद्र सरकार बहुत कोशिशें कर रही थी। इस दिशा…

मणिपुर

शांति स्थापित करने के लिए मणिपुर हिंसा के बाद राज्य और केंद्र सरकार बहुत कोशिशें कर रही थी। इस दिशा में बुधवार को बड़ी कामयाबी मिली है। स्थायी शांति समझौते के लिए मणिपुर के सबसे पुराने विद्रोही समूह ने अपनी मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि कई दिनों से सरकार इस समूह से बात कर रही थी। बुधवार को यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने स्थायी शांति समझौते पर साइन कर दिए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करके केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।

गृहमंत्री ने ऐतिहासिक फैसला बताया

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर गृह मंत्री ने लिखा, “एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। मोदी सरकार के पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने साइन किए हैं।” उन्होने आगे लिखा, “मणिपुर के घाटी स्थित सबसे पुराने आर्म्ड ग्रुप UNLF हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सहमत हो गया है। मैं उनका लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में स्वागत करता हूं। मैं शांति और प्रगति के रास्ते पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”

3 मई के बाद से 180 से अधिक लोगों की मौत

मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की हिंसा के बाद से 180 से अधिक लोग मारे गए थे। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53% है। गौरतलब है कि, अधिकतर वे इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि पहाड़ी जिलों में रहने वाले आदिवासी (नागा और कुकी) की आबादी 40 प्रतिशत हैं। ये मुख्य रूप से में रहते हैं।

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