राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री से की मुलाकात, सीडीएस बोले- भारत एलएसी पर अपनी स्थिति पर कायम

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में चीनी रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू से मुलाकात की है। द्विपक्षीय वार्ता शंघाई…

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में चीनी रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू से मुलाकात की है। द्विपक्षीय वार्ता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के इतर हुई। गलवान घाटी में 2020 में हुई हिंसा के बाद दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की यह पहली बैठक है। बैठक में राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया है कि दोनों देशों के बीच संबंध कैसे हैं, कैसे विकसित होते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सीमा पर दोनों देशों के बीच शांति है या नहीं।

Rajnath Singh met Chinese Defense Minister
भारत एलएसी पर अपने रुख पर कायम

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच किसी भी मुद्दे को दोनों देशों के बीच मौजूदा समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार सुलझाया जाना चाहिए। दोनों मंत्रियों ने सीमा विवाद और दोनों देशों के संबंधों पर खुलकर चर्चा की। राजनाथ ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और चीन के बीच जो भी समझौते हुए हैं, उनके उल्लंघन से दोनों देशों के संबंध प्रभावित हुए हैं। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद भारत के सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत एलएसी पर अपनी स्थिति पर कायम है।

चीनी रक्षा मंत्री बैठक में हिस्सा लेने भारत आ रहे

चीन के रक्षा मंत्री एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए 28 अप्रैल को भारत आ रहे हैं। भारत और चीन सीमा पर तनाव कम करने के लिए लगातार सैन्य स्तर की बातचीत कर रहे हैं। हाल ही में दोनों के बीच 18वीं कोर कमांडर लेवल की मीटिंग हुई थी। इस बात पर सहमति बनी कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जो भी मुद्दे हैं, उन्हें जल्द से जल्द सुलझाने का काम किया जाएगा।

तवांग में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प

पिछले साल अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई थी। फिर चीन की ओर से घुसपैठ की कोशिश की गई। भारतीय जवानों ने उन्हें रोक लिया और वापस खदेड़ दिया। चीन भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने की बात करता है, लेकिन सीमा पर उसकी गतिविधियां उकसाने वाली हैं। भारत का साफ मानना ​​है कि जब तक सीमा पर अमन-चैन नहीं है तब तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

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