दिल्ली में चुनी हुई सरकार ही है असली ‘बॉस’, LG नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

दिल्ली में सबसे ताकतवर कौन? मुख्यमंत्री या लेफ्टिनेंट गवर्नर? अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।…

दिल्ली में सबसे ताकतवर कौन? मुख्यमंत्री या लेफ्टिनेंट गवर्नर? अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दिल्ली सरकार ही दिल्ली का असली बॉस है। दिल्ली सरकार को ही ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद जो फैसला दिया है, उसका अहम निष्कर्ष यह है कि एलजी को चुनी हुई सरकार की सलाह पर शासन करना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने संविधान पीठ का फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने के लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है। एनसीटीडी अधिनियम की धारा 239एए अधिकारों की एक बहुत व्यापक श्रेणी को परिभाषित करती है। 239एए विधानमंडल की शक्तियों की भी सही व्याख्या करता है। जिसमें तीन विषयों को शासन के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है।

The elected government in Delhi is the real 'boss'
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

CJI ने कहा कि यह सभी जजों की सहमति से बहुमत का फैसला है। यह केवल सेवाओं पर नियंत्रण का मामला है। अधिकारियों की सेवाओं का हकदार कौन है? CJI ने कहा कि हमारे सामने सीमित मुद्दा यह है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सेवाओं पर कौन नियंत्रण करेगा? 2018 का फैसला इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करता है, लेकिन केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से निपटना आवश्यक है। धारा 239AA व्यापक सुरक्षा प्रदान करती है। सीजेआई ने कहा कि एनसीटी पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता है। अन्य राज्यों की तुलना में एनसीटी दिल्ली के अधिकार कम हैं। CJI ने कहा कि प्रशासन को GNCTD के पूरे प्रशासन के रूप में नहीं समझा जा सकता है। नहीं तो चुनी हुई सरकार की ताकत कमजोर हो जाएगी।

जानें कब-कब क्या हुआ?

– दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची थी. इस पर हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में राज्यपाल के पक्ष में फैसला सुनाया था.

– ‘आप’ सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले में जुलाई 2016 में ‘आप’ सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएम ही दिल्ली के एक्जीक्यूटिव हेड होंगे.

– इसके बाद सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे मामलों की सुनवाई के मामले को दो सदस्यीय नियमित बेंच के समक्ष भेजा गया. फैसले में दोनों जजों की राय अलग-अलग आई.

– ये मामला 3 सदस्यीय बेंच के पास भेजा गया. इस बेंच ने पिछले साल जुलाई में केंद्र की मांग के बाद इसे संविधान पीठ के समक्ष भेज दिया.

– संविधान पीठ ने जनवरी 2023 में 5 दिन तक इस मामले पर सुनवाई की और 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

– अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल को नहीं बल्कि, दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास ही अधिकारियों के पोस्टिंग और ट्रांसफर के अधिकार होंगेl

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