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- February 1, 2023
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उदारता है जिसकी बड़ी पहचान, रतन टाटा है उसका नाम, जानें उद्योग जगत के इस हस्ती के बारे में
उद्योग जगत में रतन टाटा (Ratan Tata) एक जाना-माना नाम है। वह एक सफल उद्योगपति के साथ-साथ एक उदार इंसान…
उद्योग जगत में रतन टाटा (Ratan Tata) एक जाना-माना नाम है। वह एक सफल उद्योगपति के साथ-साथ एक उदार इंसान भी हैं। टाटा कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले रतन टाटा इस समय रिटायरमेंट ले चुके हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वह सन 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे हैं।
28 दिसंबर 2012 को टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
रतन टाटा इस समय समाज सेवा कर रहे हैं और वे टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। रतन टाटा की कामयाबी के पीछे उनकी मेहनत और सोच है। उन्होंने एक लाख रुपए में नैनो कार पेश किया था, जिससे एक लोअर मिडिल क्लास लोगों का सपना पूरा हुआ था। मौजूदा समय में वे 85 साल के हो चुके हैं। इनके बारे में जानने के लिए हर यंगस्टर बेताब रहता है। तो आइए जानते हैं उनके बचपन, उनकी लव लाइफ और शिक्षा के साथ-साथ उनकी कदम-दर-कदम सफलता के बारे में:
जन्म और शैक्षिक योग्यता
उद्योग की दुनिया बड़ा नाम यानी उद्योगपति रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। इनके परिवार में इनके पिता नवल टाटा और माता सूनी टाटा थे। रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री 1959 में ली थी। वे अपनी कंपनी में एक कर्मचारी के तौर पर काम करने लगे। उस दौरान इन्होंने एक यूनिट में काम करते हुए उद्योग की बारीकियों को सीखा।
ऐसे संभाली बिजनेस की बागडोर
रतन टाटा ने साल 1868 में अपने घर के कारोबार की बागडोर संभाली। इससे पहले वो 70 के दशक में टाटा स्टील जमशेदपुर में कार्यरत थे। जैसे ही उन्हें कारोबार के बारे में अच्छी समझ हो गई, उन्होंने टाटा ग्रुप में शानदार एंट्री ली और अपनी काबिलियत के बलबूते घरेलू कारोबार को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाया। आपको बता दें कि रतन टाटा ने 1991 में पूरे समूह की बागडोर अपने हाथों में ली थी।
टाटा समूह के उत्पाद
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने अपने उद्योग को इस कदर बढ़ा दिया कि घर की रसोई से लेकर आसमान तक उसकी चमक दिखाई देनी शुरू हो गई। मौजूदा समय में घर में इस्तेमाल होने वाले नमक, मसाले हो या सुबह के समय चाय, पानी, कॉफी, घड़ी, ज्वेलरी ही क्यों ना हो, सब जगह टाटा उद्योग का बोलबाला है। यही नहीं लग्जरी कार, बस, कार, ट्रक और हवाई जहाज का सफर टाटा समूह का कारोबार हर क्षेत्र में फैला हुआ है। आपको जानकर हैरानी होगी कि टाटा समूह 157 साल पुरानी कंपनी है। वहीं इसकी 17 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड है।
एयर इंडिया कारोबार का रेवेन्यू
कंपनी के रेवेन्यू का जिक्र करें तो वित्त वर्ष 2022 में यह रेवेन्यू करीब 128 अरब डॉलर का होता है। जमशेदजी टाटा के जरिए खड़े किए गए इस कारोबार में मौजूदा समय में तकरीबन 9,35,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में टाटा ग्रुप की अहम भूमिका है। इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि टाटा समूह देश की कुल जीडीपी में लगभग दो फीसदी का हिस्सेदार है। आपको बता दें कि वित्त 2022 में टाटा समूह का कुल मार्केट कैप लगभग 240 अरब डॉलर या 21 ट्रिलियन रुपए के आस पास है।
हाल ही में बयां किया था अपना दर्द
आज के दौर में रतन टाटा के पास सब कुछ है, लेकिन 85 साल की उम्र में उन्होंने अपना दर्द बीते दिनों अपने मैनेजर शांतनु की स्टार्टअप गुडफेलो की ओपनिंग के समय बयां किया था। उन्होंने कहा था, ‘आप नहीं जानते कि अकेले रहने के दौरान कैसा महसूस होता है। जब आप अकेले समय बिताने के लिए मजबूर नहीं होते, तब तक आपको इसका जरा भी एहसास नहीं होगा। रतन टाटा का कहना था कि जब तक आप असल में बूढ़े नहीं हो जाते तब तक किसी को भी बूढ़े होने का जरा भी एहसास नहीं होता।
किसी को पसंद किया लेकिन शादी न हो सकी
रतन टाटा की उदारता के कारण उन्हें लोग काफी मान सम्मान देते हैं, लेकिन उद्योगपति के अंदर और भी कई ऐसी खूबियां है, जिसके चलते लोग उन्हें अपना आइडियल मानते हैं। रतन टाटा ने शादी की नहीं की, लेकिन इनकी प्रेम कहानी काफी दिलचस्प रही है। रतन टाटा कंपनी में काम करने के दौरान लॉस एंजिल्स से ताल्लुक रखने वाली लड़की को पसंद करने लगे थे, वो उससे शादी रचाने की पूरी चाह में थे, लेकिन उसी दौरान उन्हें भारत आना पड़ गया क्योंकि उनकी दादी की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। रतन चाह रहे थे कि वो जिससे प्यार करते हैं, वो महिला भी उनके साथ भारत आकर रहे, लेकिन उसी दौरान 1962 की भारत और चीन के बीच लड़ाई छिड़ गई। ऐसे में लड़की के माता-पिता भारत आने के खिलाफ थे और इनका खूबसूरत रिश्ता टूट गया।
इस वजह से सबके चहेते हैं रतन टाटा
रतन टाटा भारत के एक कामयाब उद्योगपति हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। इनकी सादगी और नेक कार्य लोगों को काफी पसंद आया है। ये देश के युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं। रतन अपने समूह से जुड़े हर छोटे से बड़े कर्मचारी को अपने परिवार के जैसा मानते हैं और उनका ख्याल रखने में अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं।
इसके तमाम उदाहरण लोगों के सामने आते हैं। इन सबके अलावा उन्हें जानवरों से बेहद प्यार है। सड़कों पर घूमने वाले स्ट्रे डॉग्स से उन्हें काफी लगाव है। वे कई गैर सरकारी संगठनों और एनिमल शेल्टर को अच्छा खासा दान भी देते हैं। वहीं देश में विपदा की स्थिति उपन्न होने पर रतन टाटा सबसे पहले आगे बढ़कर सहयोग करते हैं। फिर चाहे वो मुंबई 26 /11 का अटैक हो या फिर महामारी कोरोना की स्थिति। आज उनकी उदारता ही उनकी सबसे बड़ी पहचान बन गई है।