देश में 25 साल से कम उम्र के 42% स्नातक बेरोजगार, क्लर्क की परीक्षा में एमबीए, इंजीनियर, पीएचडी होल्डर्स बैठ रहे

भारत में बेरोजगारी एक सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसमें छिपी हुई बेरोजगारी की स्थिति और भी ज्यादा…

42% स्नातक बेरोजगार

भारत में बेरोजगारी एक सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसमें छिपी हुई बेरोजगारी की स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक हैं। दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल पर अपनी बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देखा कि बड़ी संख्या में शिक्षित युवा, जिसमें इंजीनियर डिग्री वाले भी शामिल है, लेकिन औपचारिक रोजगार पाने में असमर्थ हैं। वे मजबूरी में कुली जैसी अनिश्चित और अनौपचारिक रोजगार कर रहे हैं।

क्लर्क के 92 पदों के लिए 8,000 आवेदन

संसद सदस्य और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने बयान में कहा कि अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में 25 साल से कम उम्र के 42% ग्रेजुएट युवा बेरोजगार थे। जनवरी 2023 में, गुजरात विश्वविद्यालय में क्लर्क के 92 पदों के लिए 8,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया। इसमें एमएससी और एमटेक स्टूडेंट भी शामिल थे। जून 2023 में महाराष्ट्र में क्लर्क के 4,600 पदों के लिए 10.5 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया, जिसमें एमबीए, इंजीनियर, पीएचडी होल्डर्स भी शामिल थे।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जॉब में 31% की गिरावट

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि औपचारिक क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने में प्रधानमंत्री मोदी की घोर विफलता के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के 2021 और 2022 के आंकड़े से पता चलता है कि औपचारिक क्षेत्र में रोजगार 2019-20 की तुलना में 5.3 फीसदी काम है। इसके अलावा 2019-20 से 2021-22 तक औपचारिक क्षेत्र में रोजगार देने वालों की संख्या में भी 10.5 फ़ीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 और मार्च 2023 के बीच मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नौकरियों में 31% की भारी गिरावट आई है। जनवरी और मार्च 2023 के नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में भी 50% से कम श्रमिक वेतनभोगी हैं। नवीनतम अखिल भारतीय पीएलएफएस डाटा के अनुसार, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल है, बहुत ही चिंताजनक है। 2021-22 में केवल 21% श्रमिकों के पास ही औपचारिक नौकरियां थी, जो अभी भी 23% की महामारी-पूर्व अवधि से कम है। इसके बजाय, स्व-रोजगार और अनौपचारिक रोजगार में वृद्धि हुई है।

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