बिंदेश्वर पाठक के काम का उनके ससुर ने उड़ाया था उपहास, जानें उनके कामों के बारे में

  टॉयलेट क्रांति के जनक और देश में सार्वजनिक शौचालय के प्रवर्तक और सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को…

बिंदेश्वर पाठक

 

टॉयलेट क्रांति के जनक और देश में सार्वजनिक शौचालय के प्रवर्तक और सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को ध्वजारोहण के तुरंत बाद कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। कार्यकर्ता और समाजसेवी बिंदेश्वर पाठक को सैनिटेशन सांता क्लास कहकर संबोधित किया जाता था। बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव में हुआ और उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा, दो बेटियां हैं।

उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन से वर्षों पहले शौचालय को सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बनाया था। इसी के लिए उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बिंदेश्वर पाठक कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। हालांकि उन्हें अपने कामों के लिए उनके ससुर सहित कई लोगों के उपहास का सामना भी करना पड़ा था। लेकिन पाठक ने एक बार बताया था कि उनके ससुर महसूस करते थे कि उन्होनें अपनी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी, क्योंकि वह नहीं बता सकते कि उनका दामाद जीवनयापन के लिए क्या करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

सुलभ इंटरनेशनल एक सामाजिक सेवा संगठन है, जो शिक्षा के जरिए मानव अधिकारों, वेस्ट मैनेजमेंट, पर्यावरण स्वच्छता और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं ने बिंदेश्वर पाठक के निधन पर शोक जताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- डॉ. पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए गहरी क्षति है। वे एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े स्तर पर काम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन माना। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन दिया, हमारे विभिन्न बातचीत के दौरान उनका जुनून स्वच्छता के प्रति हमेशा दिखाई देता था।

जानें बिंदेश्वर पाठक के बारे में

1970 में बिंदेश्वर पाठक ने सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की। संस्था का उद्देश्य खुले में शौच और अस्वच्छ सार्वजनिक शौचालयों को खत्म करना था। आगे चलकर सुलभ सार्वजनिक शौचालय का पर्याय बन गया। संगठन ने अग्रणी प्रयासों से सुलभ शौचालय की दिशा में क्रांतिकारी काम हुए, सस्ते टॉयलेट सिस्टम बनाए गए, जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर और स्वस्थ बनाए, जिससे आज लाखों लोगों को स्वच्छ और सम्मानजनक शौचालय सुविधाएं उपलब्ध हुई।

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