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- July 3, 2023
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‘एक साथ नहीं चल सकते विभागीय जांच और आपराधिक मामले’, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दी राजेन्द्र यादव को राहत
छत्तीसगढ उच्च न्यायालय ने कहा है कि आपराधिक मामले और विभागीय जांच एक साथ नहीं चल सकते। कोर्ट के इस…
छत्तीसगढ उच्च न्यायालय ने कहा है कि आपराधिक मामले और विभागीय जांच एक साथ नहीं चल सकते। कोर्ट के इस फैसले से बिलासपुर निवासी पुलिस इन्सपेक्टर राजेन्द्र यादव को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, एक आपराधिक मामले के चलते राजेन्द्र यादव की विभागीय जांच पर हाईकोर्ट ने रोक लगाकर याचिकाकर्ता को राहत दी है। राजेन्द्र यादव बिलासपुर के निवासी हैं और दुर्ग में पुलिस इन्सपेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल दुर्ग में रहने वाली एक महिला ने राजेन्द्र यादव के पदस्थापना के दौरान ही उनके खिलाफ अमलेश्वर पुलिस थाना में आपराधिक मामला दर्ज कराया था। इसके चलते न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, भिलाई-3 के न्यायालय में चालान पेश किया गया। इसके बाद दुर्ग के पुलिस अधीक्षक ने तमाम आरोपों पर राजेन्द्र यादव के खिलाफ आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई थी। इसके चलते राजेन्द्र यादव की परेशानियां बढ़ गई और उन्होंने एक रिट याचिका हाईकोर्ट में दायर कर दी।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने एम.पॉल एन्थनी वर्सेज भारत गोल्ड माईन्स लिमिटेड में यह तर्क दिया था कि अगर किसी अधिकारी के विरुद्ध आपराधिक आरोप लगाए गए हैं तो संबंधित विभाग समान आरोपों पर जांच की कार्रवाई शुरू कर देता है और इन मामलों में गवाह भी समान है तो ऐसी स्थिति में गवाहों का बयान पहले लिया जाएगा। लेकिन अगर विभागीय जांच कार्रवाई के दौरान सभी गवाहों का बयान ले लिया जाता है तो इससे कोर्ट में चल रहे आपराधिक मामले पर भी गलत प्रभाव पड़ सकता है, जिसे प्राकृतिक न्याय के खिलाफ माना जाता है।
इस कारण बिलासपुर उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता राजेन्द्र यादव की रिट याचिका की सुनवाई के बाद उनके खिलाफ चल रही विभागीय जांच को गलत पाया और इस पर स्टे लगा दिया। कोर्ट के इस फैसले से पुलिस इन्सपेक्टर राजेन्द्र यादव को बड़ी राहत मिली है।