- टैकनोलजी
- December 18, 2023
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स्वदेश निर्मित फ्लाइंग विंग UAV का सफल परीक्षण, चीनी सीमा से घुसपैठ पर रखेगी पैनी नजर; जानें क्यों है यह सबसे घातक
फ्लाइंग विंग-रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है।…
फ्लाइंग विंग-रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है। दरअसल, डीआरडीओ ने स्वदेश निर्मित स्टेल्थ ड्रोन की सफल टेस्टिंग की है। इसका नाम ‘ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर’ है और इसे बेंगलुरु स्थित एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट ने तैयार किया है। इसे हाई-स्पीड यूएवी (मानव रहित हवाई वाहन) भी कहा जाता है। बता दें कि यह विमान एक छोटे टर्बोफैन इंजन से चलता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले एयरफ्रेम, अंडर कैरिज और इसके नियंत्रण और एवियोनिक्स सिस्टम को भारत में ही बनाया गया है।
क्या है इस घातक ड्रोन की खासियतें
1. स्वदेश निर्मित यह ड्रोन एक नए प्रकार के विमान है जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के लैंड हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अपने लक्ष्य को चुपचाप पूरा करने के बाद आसानी से लैंड कर लेगा। इस ड्रोन के छह फ्लाइट टेस्ट किए गए है। यह ड्रोन पूरी तरह ऑटोमेटिक है, जो अमेरिका के बी-2 ड्रोन की तरह दिखता है।
2. यह घातक ड्रोन सीमा विवाद में चीन के ड्रोन की तरह ही अहम रोल निभा सकता है। ड्रोन के जरिए भारत-चीनी घुसपैठ वाले इलाकों पर नजर रखा जा सकेगा। इस ड्रोन के जरिए आसानी से दुश्मन देशों के ठिकानों पर सटीक निशाना लगाया जा सकता है। जब यह ड्रोन सीमा पर तैनात करेगा तो इससे सेना की ताकत तो बढ़ेगी।
3. इस लड़ाकू ड्रोन की ताकत इसके फिक्स्ड विंग्स हैं, जो इसे दूसरे ड्रोन से बिल्कुल अलग हैं। इसमें लगे इंजन का प्रयोग एडवांस्ड ट्रेनर और लाइट अटैक हेलीकॉप्टर्स में भी किया जा चुका है। इस इंजन को हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के HJT-36 सितारा ट्रेनर जेट में भी प्रयोग किया जा चुका है। इसमें प्रयुक्त इंजन यूएवी में भी इस्तेमाल हो चुका है।