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- January 25, 2023
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32 हफ्ते के गर्भ को गिराने की मिली अनुमति, कोर्ट ने कहा- महिला को प्रेग्नेंसी जारी रखने का अधिकार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 32 हफ्ते की गर्भवती महिला को गर्भपात की अनुमति दे दी है। दरअसल, महिला को सोनोग्राफी के…
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 32 हफ्ते की गर्भवती महिला को गर्भपात की अनुमति दे दी है। दरअसल, महिला को सोनोग्राफी के टेस्ट कराने पर पता चला कि उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण में गंभीर विकार है और वह शारीरिक तथा मानसिक अक्षमताओं के साथ पैदा होगा, जिसके बाद महिला ने गर्भपात कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट पहुंची थी। इसके बाद गर्भपात को लेकर बॅाम्बे हाईकोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया।
बॅाम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले मे कहा है कि किसी भी महिला को अधिकार है कि वह अपनी गर्भावस्था जारी रखना चाहती है या नही। कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि गर्भ को जारी रखना उस महिला का ही फैसला होगा। लेकिन अगर महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को गंभीर समस्याएं हैं तो वह महिला गर्भपात करा सकती है।
मेडिकल बोर्ड ने गर्भपात न कराने की दी थी सलाह
20 जनवरी को बॅाम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम पटेल और एस जी डिगे की पीठ ने अपने फैसले में मेडिकल बोर्ड के विचार को पूरी तरह से खारिज कर दिया था। दरअसल मेडिकल बोर्ड का कहना था कि भले ही भ्रूण में गंभीर असामान्यताएं है, लेकिन इसे खत्म नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था लगभग अपने अंतिम चरण में है। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की इस दलील को खारिज कर कहा कि अगर भ्रूण में असामान्यता दिख रही है तो गर्भावस्था की अवधि कोई मायने नहीं रखती। याचिकाकर्ता ने जो यह फैसला लिया है, वह आसान नहीं है लेकिन जरूरी है। यह निर्णय केवल उसका है और उसे अकेले ही तय करना है।
सिर्फ देरी के आधार पर गर्भपात न कराना सही नहीं
गर्भपात ना करवाने से केवल बच्चे ही नहीं बल्कि मां के भविष्य पर भी गहरा असर करेगा। हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल देरी के आधार पर गर्भपात न कराना पैदा होने वाले बच्चे ही नहीं बल्कि मां के भविष्य पर भी असर डालेगा। मेडिकल बोर्ड द्वारा यह दलील देना कि गर्भावस्था का समय ज्यादा हो गया है, यह याचिकाकर्ता और उसके पति पर असहनीय पितृत्व के लिए मजबूर करना है। इस फैसले से उनपर और उनके परिवार पर क्या असर पडेगा, जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।