2014 के बाद मोदी कैबिनेट में बदलाव कर ताकतवर हुए 5 ऐसे मंत्री, अब कुर्सी पर खतरा!

लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। इस लिहाज से मोदी सरकार की…

लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। इस लिहाज से मोदी सरकार की कैबिनेट में बदलाव संभव हो सकता है। इन सबके बीच मंत्रियों के कैबिनेट से बाहर होने और नेताओं की कैबिनेट में एंट्री को लेकर कई समीकरण उलट-पुलट हो रहे हैं। तेलंगाना से जी किशन रेड्डी को संगठन में भेजा गया है।

After 2014, 5 such ministers became powerful after making changes in the Modi cabinet, now there is a threat to the chair!

2014 के बाद से मोदी कैबिनेट में फेरबदल से लगातार मजबूत हुए कुछ मंत्रियों की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है। मोदी की पहली कैबिनेट में राज्य मंत्री के तौर पर शामिल किए गए कई मंत्री अब कैबिनेट के कोर ग्रुप का हिस्सा हैं। अब तक कामकाज के आधार पर जिन मंत्रियों को प्रमोशन मिला है, उनमें से कुछ को हटाए जाने की चर्चा है। कुछ को संगठन में भेजा जा सकता है, तो कुछ के लिए राजभवन के दरवाजे खुल सकते हैं।

निर्मला सीतारमण

आडवाणी, गडकरी और राजनाथ सिंह के कार्यकाल के दौरान प्रवक्ता रहीं निर्मला सीतारमण को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था। उस समय उन्हें वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था। सीतारमण को वाणिज्य और उद्योग विभाग में स्वतंत्र प्रभार का मंत्री भी बनाया गया। 2017 में, सीतारमण को पदोन्नत किया गया और रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया। सीतारमण से पहले मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री थे, लेकिन गोवा के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यह पद छोड़ दिया था।

इंदिरा गांधी के बाद, सीतारमण भारत में रक्षा विभाग का नेतृत्व करने वाली दूसरी महिला मंत्री थीं। सीतारमण के कार्यकाल में ही भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। बीजेपी ने इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया और इसका पार्टी को फायदा भी मिला। 2019 में जीत के बाद सीतारमण का कद और बढ़ गया। बीजेपी के नए समीकरण में अमित शाह गृह मंत्री बने और गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री बने। सीतारमण को सरकार में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। मोदी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चाओं के बीच सीतारमण ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि क्या सीतारमण के हाथ से वित्त मंत्री की कुर्सी निकल गयी है?

नरेंद्र सिंह तोमर

ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था। उन्हें श्रम, रोजगार और इस्पात मंत्री बनाया गया था। 2016 में हुए फेरबदल के दौरान उनका कद बढ़ा और उन्हें पंचायती राज के साथ-साथ ग्रामीण विकास विभाग की भी जिम्मेदारी दी गई। 2018 में तोमर को संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई। 2019 के चुनाव में वह फिर से ग्वालियर सीट से जीते और मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए। इस बार उन्हें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मिली। 2020 में हरसिमरत कौर बादल के कैबिनेट छोड़ने के बाद उनके खाद्य प्रसंस्करण विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी तोमर को दे दिया गया। 2023 में होने वाले कैबिनेट फेरबदल में उनकी सीट दांव पर है।

नरेंद्र सिंह तोमर को मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। वह 2006-2010 और 2013 में मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। तोमर को कमान देने की चर्चा है क्योंकि बीजेपी में शिवराज और सिंधिया खेमे को एक साथ लाया जा सकता है। तोमर की ग्वालियर-चंबल में मजबूत पकड़ है। इसके साथ ही पुराने नेताओं से भी उनके रिश्ते अच्छे हैं। हाल ही में बीजेपी के पुराने नेताओं ने शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे चुनावी साल में बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है।

पीयूष गोयल

भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे पीयूष गोयल को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था। उन्हें विद्युत मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। 2017 के फेरबदल के दौरान गोयल का कद बढ़ा और उन्हें रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। प्रधानमंत्री की गुड बुक में होने के कारण कोयला मंत्रालय भी उनके पास था। 2018 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली बीमार पड़ गए तो पीयूष गोयल को वित्त विभाग की जिम्मेदारी मिली. उन्होंने जेटली की जगह बजट भी पेश किया।

2019 में जब मोदी सरकार में फेरबदल हुआ तो यह माना गया कि गोयल को वित्त मंत्रालय मिलेगा, लेकिन उनका रेल मंत्रालय बरकरार रखा गया। हालांकि, उन्हें वाणिज्य और उद्योग के अतिरिक्त विभाग भी दिए गए। 2020 में उन्हें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का प्रभार दिया गया। 2021 में कैबिनेट फेरबदल के दौरान गोयल से रेलवे विभाग छीन लिया गया था। इसके बदले उन्हें कपड़ा विभाग दिया गया। चर्चा है कि मोदी कैबिनेट के इस फेरबदल में गोयल भी बाहर हो जाएंगे। चर्चा के मुताबिक इन्हें संस्था में भेजने की तैयारी चल रही है। गोयल को राजस्थान का प्रभारी महासचिव बनाये जाने की चर्चा जोरों पर है।

किरण रिजिजू

अरुणाचल पश्चिम के सांसद किरेन रिजिजू को 2014 में प्रधान मंत्री मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। उस समय रिजिजू को गृह राज्य मंत्री बनाया गया था। रिजिजू 5 साल तक इस पद पर रहे। 2019 के कैबिनेट विस्तार में रिजिजू का कद बढ़ गया। उन्हें युवा एवं खेल मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया। 2021 के फेरबदल में उन्हें पदोन्नत कर कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाया गया। उन्हें कानून विभाग की भी जिम्मेदारी मिली। हालांकि, कुछ महीने पहले उनसे कानून मंत्रालय छीन लिया गया था।

वीके सिंह

अन्ना आंदोलन से पहले सेना और फिर बीजेपी में आए जनरल वीके सिंह को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया। सिंह को उत्तर-पूर्व और सांख्यिकी विभाग के स्वतंत्र प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही विदेश विभाग में राज्य मंत्री भी बनाया गया। विदेश विभाग में राज्य मंत्री के रूप में सिंह स्वयं यमन संकट के दौरान वहां गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने यमन संकट के दौरान उनके काम की सराहना भी की।

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