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- June 23, 2023
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सीमा पर सेना को बड़ी सफलता, कुपवाड़ा में घुसपैठ कर रहे 4 आतंकियों को भारतीय जवानों ने मार गिराया
जम्मू-कश्मीर में आतंकी अपनी गतिविधियां नहीं छोड़ रहे हैं। भारत को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगातार सीमा पर घुसपैठ…
जम्मू-कश्मीर में आतंकी अपनी गतिविधियां नहीं छोड़ रहे हैं। भारत को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगातार सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की जा रही है, लेकिन सुरक्षा बल हर कोशिश को नाकाम कर रहे हैं। इस नए अध्याय में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है। कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर के जंगल में 5 आतंकी मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी आतंकी पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। इसीलिए सुरक्षा बलों ने उसकी कोशिश को नाकाम कर दिया और उसे मार गिराया।

जानकारी के मुताबिक, आतंकियों की घुसपैठ की सूचना मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना ने संयुक्त अभियान चलाया। इस दौरान सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे आतंकियों को ढेर कर दिया। इससे पहले भी कुपवाड़ा में एक ऑपरेशन के दौरान 5 आतंकी मारे गए थे। इससे साफ पता चलता है कि सुरक्षा बल लगातार आतंकियों के खात्मे में लगे हुए हैं।
आतंकियों के छिपे होने की थी सूचना
पिछले शुक्रवार को भी सुरक्षा बलों को सूचना मिली थी कि कुपवाड़ा के जुमागुंडा इलाके में आतंकी छिपे हुए है। इसके बाद तलाशी अभियान शुरू किया गया। सुरक्षा बलों को पास आता देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ शुरू हो गई। इस दौरान सुरक्षा बलों ने 5 आतंकियों को ढेर कर दिया।
इससे पहले भी सुरक्षा बलों ने आतंकियों को घेरकर उन्हें ललकारा था। इसके बाद आमने-सामने की फायरिंग की घटना हुई थी, जिसमें आतंकियों को भी मार गिराया गया था और अब जम्मू-कश्मीर पुलिस के ऑपरेशन में आतंकियों को मार गिराया गया है।
कश्मीर में पत्थरबाजी की घटना कैसे घटी?
वर्ष 2008 से कश्मीर में पाकिस्तान के इशारे पर पत्थरबाजी की घटना जारी है, लेकिन 2020 तक भारतीय मुद्रा के विमुद्रीकरण के कारण आतंकवादियों के हाथों में नकदी प्रवाह में कमी के कारण इसमें लगातार कमी आने लगी। एक सूत्र के मुताबिक, पाकिस्तान की आईएसआई ने पत्थरबाजों और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए 800 करोड़ रुपये की रकम दी है। हालांकि, केंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के कारण 2020 से 2023 तक ऐसी घटनाएं शून्य पर पहुंच गई हैं।