चंद्रयान-2 के बाद अब इसरो करेगा सूरज की स्टडी, आदित्य L-1 की उल्टी गिनती शुरू

  इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) चांद के बाद अब सूरज की स्टडी करने के लिए तैयार है। इसके लिए…

 

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) चांद के बाद अब सूरज की स्टडी करने के लिए तैयार है। इसके लिए इसरो आदित्य L-1 नाम की ऑब्जर्वेटरी को स्पेस में भेजेगा। इसकी लांचिंग की तारीख अभी तक सामने नहीं आई है, हालांकि अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसे अगस्त के अंत तक लांच किया जाएगा। आदित्य L-1 सूरज का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय मिशन होगा। यह स्पेसक्राफ्ट लॉन्च के 4 महीने बाद सूरज पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक पहुंचेगा। यहां पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता। इसके चलते यहां से सूरज की स्टडी की जा सकती है।

धरती से लैगरेंज पॉइंट की दूरी 15 लाख किमी

पृथ्वी और सूरज के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है। वहीं सैटेलाइट आदित्य L1 को जहां प्लेस किया जाएगा, वह लैगरेंज पॉइंट L1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। इसको लॉन्च करने के लिए बेंगलुरु के यू आर राव सैटलाइट सेंटर में बनी सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर लाया गया है।

आदित्य L1 ऐसे करेगा काम

यह स्पेसक्राफ्ट सात पेलोड लेकर जाएगा, जो इलेक्ट्रोमैग्नेट, पार्टिकल, मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर की मदद से फोटोस्फियर, क्रोमोस्फीयर, सूरज की बाहरी परतों की स्टडी करेगा और इसी के साथ सोलर एक्टिविटी और रियल टाइम में अंतरिक्ष के मौसम पर उनके असर को समझा जा सकेगा। आदित्य L1 पॉइंट से चार पेलोड सीधे सूरज को देखेंगे और तीन पेलोड बाहरी पार्टिकल और फील्ड के स्टडी करें।

लैगरेंज पॉइंट्स क्या है

लैगरेंज पॉइंट्स स्पेस में वह जगह होती है, जहां किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाए, तो वह उसी स्थान पर रहता है। लैगरेंज पॉइंट पर दो बड़ी बॉडीज के बीच गुरुत्वाकर्षण उतना ही होता है, जितनी उन दोनों बॉडीज के बीच मौजूद छोटे ऑब्जेक्टिव को मूव करने के लिए सेंट्रिपिटल फॉर्म की जरूरत होती है।

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