गुजरात विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल पास, अब स्थानीय स्वशासन संस्थाओं में ओबीसी समुदाय को 27 फीसदी आरक्षण

गुजरात विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन ओबीसी आरक्षण बिल बहुमत से पास हो गया। दोपहर में सदन की…

ओबीसी आरक्षण

गुजरात विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन ओबीसी आरक्षण बिल बहुमत से पास हो गया। दोपहर में सदन की कार्यवाही के दौरान कानून मंत्री ऋषिकेष पटेल ने इस विधेयक का प्रस्ताव रखा, जिसमें 27 फीसदी आरक्षण का कांग्रेस ने विरोध किया था। कांग्रेस और आप विधायकों की गैरमौजूदगी में सदन में ओबीसी आरक्षण बिल पास हो गया है। राज्य सरकार ने झावेरी आयोग की सिफारिशों के आधार पर स्थानीय स्व-सरकारी निकायों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की घोषणा की थी। फिर इस बिल को शुक्रवार को सदन में पेश किया गया और कांग्रेस के विरोध के बीच यह बिल पास हो गया।

बिल पर क्या बोले ऋषिकेश पटेल?

ऋषिकेश पटेल ने कहा कि 1976 में बख्शी आयोग का गठन हुआ और 82 जातियों के लिए आरक्षण की सिफारिश की गयी। उस समय माधव सिंह की सरकार ने इसे लागू करने से परहेज किया। बाद में जनता दल सरकार ने 1978 के प्रस्ताव में आरक्षण दिया. 1980 से 1985 तक माधव सिंह की सरकार में कोई कदम नहीं उठाया गया। केंद्र की कांग्रेस सरकार ने ही गुजरात में कांग्रेस के साथ अन्याय किया। चिमनभाई की सरकार में भी ये 10% से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई। कांग्रेस का इतिहास कभी भी ओबीसी के लिए अच्छा नहीं रहा। 1993 में जब इसी विधानसभा में बिल पेश किया गया तो हमारी पार्टी ने पूरा समर्थन दिया। बीजेपी विधायक प्रवीण माली ने कहा कि उन्हें कांग्रेस शासित राज्यों में ओबीसी आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

अमित चावड़ा ने क्या कहा?

अमित चावड़ा ने सरकार पर आरोप लगाया कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण बिल बीजेपी की भेदभावपूर्ण नीति को दर्शाता है। सरकार आभूषण आयोग की सिफ़ारिशों को छुपाना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट और आभूषण आयोग की रिपोर्ट को सरकार निगल गयी है। चावड़ा ने आरोप लगाया कि फ्लैट 27 फीसदी आरक्षण बिल ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय करने के लिए लाया गया है। चावड़ा ने कहा कि ओबीसी समुदाय 40 फीसदी आरक्षण का हकदार है लेकिन सरकार ओबीसी समुदाय के साथ भेदभाव कर रही है और बिल के खिलाफ वॉकआउट किया है।

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