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- July 21, 2023
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संसद के 17 दिनों के मानसून सत्र में 31 बिल पास कराने की चुनौती, दिल्ली के भविष्य पर बिल लाने की तैयारी
संसद का मानसून सत्र की शुरुआत गुरुवार से हो गई और यह 11 अगस्त तक चलेगा। इस मानसून सत्र का…
संसद का मानसून सत्र की शुरुआत गुरुवार से हो गई और यह 11 अगस्त तक चलेगा। इस मानसून सत्र का कार्यकाल 17 दिनों का है, जिसमें सरकार की ओर से 31 विधेयक पेश करने की तैयारी की गई है। हालांकि मणिपुर मामले को लेकर सत्र का पहला दिन हंगामेदार रहा। इस सत्र में पारित विधेयकों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली संशोधन विधेयक, डेटा संरक्षण विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक प्रमुख हैं। इन सभी बिलों पर पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा हो रही है।
दिल्ली के भविष्य को लेकर बिल लाने की तैयारी
राजनीतिक तौर पर देखें तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली संशोधन विधेयक दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तनाव का सबब बन गया है। सदन से पारित होने के बाद यह विधेयक दिल्ली सेवा अध्यादेश 2023 का स्थान ले लेगा और दिल्ली से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार के पास रह सकता है। दरअसल, 19 मई को केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी, जो दिल्ली सरकार में कार्यरत अधिकारियों के तबादले पर केंद्रित है। केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार की सेवाओं में अधिकारियों की पोस्टिंग के मामले में एक अध्यादेश के जरिए सत्ता बरकरार रखने का प्रावधान किया था।
अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
केंद्र सरकार के अध्यादेश की वैधानिकता से परेशान दिल्ली सरकार ने इसे सहकारी संघवाद विरोधी बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। दिल्ली सरकार के मुताबिक, अध्यादेश से सरकार की शासन प्रक्रिया प्रभावित होगी और केंद्र और राज्यों के बीच रिश्ते खराब होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर 20 जुलाई यानी गुरुवार को सुनवाई की तारीख तय की थी।
पांच जजों की संवैधानिक बेंच के पास मामला
गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली अध्यादेश के मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच को भेज दिया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा दायर इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच सुनवाई करेगी। दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था। इसमें निर्वाचित सरकार को अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिया गया था।