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  • October 19, 2023
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नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की आराधना, जानें पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती…

मां स्कंदमाता की आराधना

नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस वर्ष नवरात्रि के दौरान 19 अक्टूबर को देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। देवी स्कंदमाता का ध्यान करने से भक्तों को धार्मिक उन्नति का अनुभव होता है।

स्कंद का अर्थ

स्कंद का अर्थ है ज्ञान को आचरण में लाना और कर्म करना। स्कंदमाता ऊर्जा का एक रूप है, जिनकी पूजा का उपयोग ज्ञान को व्यवहार में लाने और पवित्र कार्यों का आधार बनने के लिए किया जा सकता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस प्रकार यह इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रिया शक्ति का मिश्रण है। शिव तत्व का त्रिशक्ति से संयोग होने पर स्कंद ‘कार्तिकेय’ का जन्म होता है।

माता की कृपा से संतान सुख

मां स्कंदमाता अपने भक्तों पर पुत्र के समान प्रेम बरसाती हैं। मां के स्मरण मात्र से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं। मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

माता स्कंदमाता का एक रूप

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, जिसके कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में मां स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। मां स्कंदमाता को पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा

नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और देवी मां का ध्यान करें। देवी माता की मूर्ति या तस्वीर को गंगा जल से शुद्ध करें। फिर मां को कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि चढ़ाएं। माता को मिठाई और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। स्कंदमाता का ध्यान करें। स्कंदमाता के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। सच्ची भावना से मां की पूजा करें और आरती करें। कथा पढ़ने के बाद अंत में माता स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।

स्कंदमाता का प्रसाद

मां को केले का भोग बहुत प्रिय है। आप मां को खीर का प्रसाद भी चढ़ा सकते हैं।

मां स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

हे मां! सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें। इस दिन साधक का मन ‘विशुद्ध’ चक्र में अवस्थित होता है। इनके विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे होते हैं।

नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक मान्यताओं पर आधारित है।

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