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- February 15, 2023
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WHO ने दिया अलर्ट- इस पक्षी के पास न जाएं, छिपा है जानलेवा वायरस, 9 लोगों की मौत
इस पक्षी के पास न जाएं, छिपा है जानलेवा वायरस कोरोना वायरस के बाद अब एक नया वायरस का आगमन…
इस पक्षी के पास न जाएं, छिपा है जानलेवा वायरस
कोरोना वायरस के बाद अब एक नया वायरस का आगमन हो चुका है। इस वायरस की बात करें तो इसका नाम है मारबर्ग वायरस। आपको बता दें कि यह वायरस इबोला वायरस जितना ही खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि पश्चिम अफ्रीकी देश में कम से कम नौ मौतों के लिए इबोला से संबंधित वायरस जिम्मेदार है। डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में इस वायरस के प्रकोप की पुष्टि की जा चुकी है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, यह बीमारी रक्तस्रावी बुखार है, जो बहुत तेजी से फैलता है।
मारबर्ग वायरस क्या है?
यह एक बहुत गंभीर विषाणु संक्रमण है, जो मारबर्ग वायरस के नाम से जाना जाता है। यह वायरस रक्तस्रावी बुखार का कारण बनता है और इसी के साथ अक्सर लोगों की मौत का कारण भी बनता है। यदि कोई इस वायरस से संक्रमित होता है, उनमें थकान, बुखार, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह संक्रमण बहुत खतरनाक होता है और संभवतः उपचार के बिना किसी भी लोगों की मौत का कारण बनता है।
मारबर्ग वायरस के लक्षण
मारबर्ग वायरस से होने वाली बीमारी का पहला लक्षण तेज बुखार, सिरदर्द और गंभीर बेचैनी होती है। इसके अलावा, कुछ रोगी में सात दिनों के भीतर भी रक्तस्रावी लक्षण विकसित हो जाते हैं। रिपोर्ट किए गए कुछ अन्य लक्षणों में ठंड लगना, बेचैनी, छाती पर लाल चकत्ते, मतली, उल्टी, सीने में दर्द, गले में सूजन, पेट में दर्द और दस्त शामिल हैं।
यह रोग कैसे फैलता है?
इबोला की जैसे ही मारबर्ग नाम का वायरस चमगादड़ से फैलता है। इसी के साथ, यह वायरस संक्रमित लोगों, सतहों और कुछ सामग्रियों से शारीरिक तरल पदार्थ के डायरेक्ट संपर्क के माध्यम से व्यक्तियों में फैलता है। इस वायरस की पहली बार पहचान 1967 में हुई थी।
इसका इलाज और बचाव क्या है?
कोई टीका या एंटीवायरल उपचार वायरस के इलाज के लिए स्वीकृत नहीं है। हालांकि कुछ बातों का ध्यान रखकर इससे बचा जा सकता है। इस वायरस से बचाव के लिए पहले मास्क, ग्लव्स का इस्तेमाल करें, अगर किसी को वायरस है तो भी उसे आइसोलेट करें।