आ रही है 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं, होना है पास तो इन आदतों में करें सुधार; एग्जाम में जरूर करेंगे पास

10वीं और 12वीं की परीक्षाएं-विद्यार्थी काल जीवन का स्वर्णिम काल होता है। जीवन का यह स्वर्णिम काल जीवन निर्माण का…

10वीं और 12वीं की परीक्षाएं-विद्यार्थी काल जीवन का स्वर्णिम काल होता है। जीवन का यह स्वर्णिम काल जीवन निर्माण का भी समय होता है। विद्यार्थी काल जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है। इस अवधि के दौरान छात्रों को अपने भविष्य की तैयारी करनी होगी। पढ़ाई के अलावा उसे यह भी समझना होगा कि वह क्या बनना चाहता है? दुनिया कैसी है, वह कहां जा रहा है और अगली बार के लिए खुद को तैयार करना होगा। इस दौरान विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ कई अन्य जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ती है, लेकिन इस दौरान विद्यार्थियों की कुछ आदतें उनकी असफलता का कारण भी बन सकती है।

आ रही है 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं, होना है पास तो इन आदतों में करें सुधार; एग्जाम में जरूर करेंगे पास

पढ़ाई में लापरवाही

पढ़ाई विद्यार्थी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नींव का निर्माण है, लेकिन कुछ छात्र सीखने में लापरवाही बरतते हैं। वे समय पर पढ़ाई नहीं करते और परीक्षा की तैयारी नहीं करते और आखिरकार उसकी वजह से परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आ पाते और असफल हो जाते हैं।

समय प्रबंधन समस्या

विद्यार्थियों को विद्यार्थी जीवन में स्कूल की पढ़ाई, ट्यूशन पढ़ाना, घर पर पढ़ाई, दोस्त, खेल-कूद, मौज-मस्ती, घूमना-फिरना सहित बहुत कुछ करना होता है। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ और भी कई तरह के काम करने पड़ते हैं, लेकिन कुछ छात्र टाइम मैनेजमेंट नहीं कर पाते हैं। वे सभी काम एक ही बार में करने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण उनका किसी भी काम पर ध्यान नहीं लगता और सभी कार्यों में असफलता मिलती है। प्रत्येक कार्य के लिए समय निर्धारित करें और उस समय में उसे पूरा करने की आदत बनाएं।

असफलता का डर

कुछ छात्र असफल होने से डरते हैं। वे सोचते हैं कि अगर वे फेल हो गये तो उनके माता-पिता, घर की इज्जत क्या रह जायेगी। दोस्त क्या कहेंगे इसका भी ख्याल मन में आता है। इस डर के कारण वे पढ़ाई में ध्यान नहीं देते और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर पाते।

लक्ष्य से भटकना

कुछ छात्र अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। सरल शब्दों में, दूसरे स्तर पर चढ़ना। वे पढ़ाई के दौरान अपने लक्ष्य भूल जाते हैं और दूसरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करने लगते हैं। इस वजह से वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं और डर या किसी तीसरे शॉर्टकट या नकारात्मक रास्ते पर लौट आते हैं।

गलतियों से सीखते नहीं

कुछ छात्र अपनी गलतियों से नहीं सीखते। वे वही गलतियां बार-बार दोहराते हैं। इससे उनकी पढ़ाई में सुधार नहीं होता और वे असफल हो जाते हैं। कुछ मामलों में गलतियों और बार-बार की गई गलतियों के लिए माता-पिता-शिक्षकों द्वारा सार्वजनिक रूप से डांटना या दंडात्मक उपायों का मानस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

दूसरों के साथ तुलना

कुछ छात्र अपनी तुलना अन्य छात्रों से या अभिभावक-शिक्षक दूसरों से करते हैं। स्वयं की तुलना और दूसरों से कम आंकने से आत्मविश्वास की कमी पैदा होती है और कुछ मामलों में आत्म-घृणा, आत्म-सम्मान की हानि और दूसरों के प्रति नाराजगी पैदा होती है। आत्मविश्वास खोने के कारण वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते।

नकारात्मक सोच

कुछ विद्यार्थी नकारात्मक सोच रखते हैं। ये हमेशा अपने बारे में बुरा सोचते हैं। इस वजह से उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे फेल हो जाते हैं। इस आदत पर काबू पाने के लिए दुनिया को देखें, समझें और परखें तथा अच्छी पुस्तकों या गुरुओं की ओर रुख करें।

उचित मार्गदर्शन का आभाव

कुछ छात्रों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है। उनके माता-पिता एवं शिक्षक उन्हें सही दिशा नहीं दिखाते, दिशा-निर्देश नहीं देते जिसके कारण वे पढ़ाई में सफल नहीं हो पाते। व्यक्ति आगे बढ़ते हुए स्वयं को कोसने लगता है और फिर भी वर्तमान में नहीं जी पाता, आगे नहीं बढ़ पाता।

शिक्षा के प्रति रुचि का अभाव

कुछ छात्रों का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता है। वे पढ़ाई को बोझ मानते हैं। पढ़ाई को बोझ मानने के कारण वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते और असफल हो जाते हैं। अपनी रुचि के विषय पर अधिक ध्यान केंद्रित करके कौशल हासिल करना चाहिए और यदि संभव हो तो दूसरों से रुचि के अन्य विषयों को समझकर या उन्हें अन्य तरीकों से हल करके आगे बढ़ना चाहिए।

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