हर दिन रूस से भारत आता था 2576 लाख लीटर कच्चा तेल, जानिए मुकेश अंबानी और गुजरात का कनेक्शन

आपदा में महान अवसर’ की खोज का भारत का जवाब रूस-यूक्रेन युद्ध है। पश्चिमी देशों के मना करने के बावजूद…

आपदा में महान अवसर’ की खोज का भारत का जवाब रूस-यूक्रेन युद्ध है। पश्चिमी देशों के मना करने के बावजूद भारत ने किसी की नहीं सुनी और रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। हालांकि, इससे रूस को भी लाभ हुआ और कच्चे तेल के व्यापार ने रूस को अपनी अर्थव्यवस्था को युद्ध के कारण लगे प्रतिबंधों से बचाने में मदद की। लेकिन क्या रूसी तेल के साथ भारत के जुड़ाव का एकमात्र कारण उसका सस्ता होना है या इसके पीछे कुछ और है?

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भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। भारत से कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक केवल अमेरिका और चीन हैं। लंबे समय तक पश्चिम एशिया के खाड़ी देश भारत के लिए कच्चे तेल के सबसे अहम स्रोत रहे हैं और अब रूस इस मामले में नंबर एक बन गया है।

रूस से 2576 लाख लीटर कच्चा तेल आता है

ईटी की एक खबर के मुताबिक जब रूस दुनिया में अलग-थलग पड़ गया तो भारत और चीन ने ग्राहक बनकर उसकी मदद की। अब भारत रूस से कितना कच्चा तेल खरीदता है इसका पूरा हिसाब है। सबसे पहले आपको बता दें कि भारत ने मार्च महीने में प्रतिदिन 16.2 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात किया था। यह भारत के कुल कच्चे तेल आयात का करीब 40 फीसदी है। अगर हम इसे लीटर में गिनें तो एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है। यानी भारत हर दिन रूस से 2576 लाख लीटर कच्चा तेल आयात करता है।

रूसी तेल से मुकेश अंबानी का कनेक्शन

वास्तव में, भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा पेट्रोलियम रिफाइनर है। भारत में 23 रिफाइनरियां हैं जो हर साल 249 मिलियन टन कच्चे तेल को रिफाइन करती हैं। रिफाइनरी में ही कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल और पेट्रोलियम जेली को अलग किया जाता है। इससे प्लास्टिक बनाने के लिए कच्चा माल तैयार किया जाता है। एशिया के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज गुजरात के जामनगर में रिफाइनरी भी चलाती है। यह दुनिया की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफाइनरी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी रूसी कच्चे तेल के सस्ते होने की वजह से इसकी खरीदारी बढ़ा दी है।

कार्गो ट्रैकिंग कंपनी वोर्टेक्सा के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में आने वाले रूसी कच्चे तेल का करीब 45 फीसदी अकेले रिलायंस खरीदती है। जबकि भारत की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी ‘न्यारा’ में रूस की रोसनेफ्ट की 49 फीसदी हिस्सेदारी है।

पेट्रोल और डीजल को यूरोप भेजा जाता है

भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे पेट्रोल और डीजल में बदलता है। यह तेल फिर यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में वापस बेचा जाता है। अप्रैल से जनवरी के बीच भारत से यूरोपीय संघ के देशों को पेट्रोलियम निर्यात में 20.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह करीब 1.16 करोड़ टन पर पहुंच गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के कारण यूरोपीय संघ के देश रूस से तेल नहीं खरीद सकते। लेकिन भारत से रिफाइंड तेल इस दायरे में नहीं आता है। इसीलिए यूरोपीय देशों में पेट्रोलियम तक पहुंचने का नया रास्ता अब भारत से होकर गुजरता है।

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