‘गरबा’ को मिली वैश्विक पहचान, यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में हुआ शामिल

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत के लिए बोत्सवाना में अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत…

'गरबा' को मिली वैश्विक पहचान

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत के लिए बोत्सवाना में अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सहेजने संबंधी 2003 की संधि के प्रावधानों के तहत इस सूची में गरबा को शामिल किया गया है।

बुधवार को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा कि यूनेस्को ने राज्य के लोकप्रिय गरबा नृत्य को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है। नवरात्रि उत्सव के दौरान भारत ने पूरे गुजरात एवं देश के अन्य कई भागों में आयोजित होने वाले गरबा को सूची में शामिल करने के लिए नामांकित किया था।

सोशल मीडिया एक्स पर भूपेन्द्र पटेल ने अपनी एक पोस्ट में कहा कि देवी मां की भक्ति की सदियों पुरानी परंपरा गरबा के रूप में जीवित है एवं बढ़ रही है। बता दें कि यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची के तहत गुजरात की पहचान बन चुके गरबा को मंजूरी दी है।

भूपेंद्र पटेल ने कहा- गुजरातियों के लिए गौरव का क्षण

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा कि दुनिया भर में फैले गुजरातियों के लिए यह गौरव का क्षण है। यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश की विरासत को महत्व दिए जाने एवं ऐसी विरासत को विश्व भर में लेकर जाने का परिणाम है। उन्होंने गुजरात के लोगों को बधाई भी दी है। बता दें कि मंगलवार को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत के लिए बोत्सवाना में अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सहेजने संबंधी 2003 की संधि के प्रावधानों के तहत गरबा को इस सूची में शामिल किया गया है।

गरबा नृत्य भारत की 15वीं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

बता दें कि इस सूची में शामिल होने वाला गुजरात का गरबा नृत्य भारत की 15वीं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है। यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, गरबा एक अनुष्ठानात्मक एवं भक्तिपूर्ण नृत्य है, जो नवरात्रि को त्योहार के दौरान किया जाता है। गरबा नृत्य आदिशक्ति की पूजा के लिए समर्पित है। बता दें कि लौ जलते कलश के चारों ओर गरबा नृत्य किया जाता है।

साथ ही देवी मां अम्बा की एक तस्वीर भी वहां स्थापित होती है और सभी नर्तक ताली बजाते हुए गोल घेरे में लयबद्ध तरीके से नृत्य करते है। गौरतलब है कि पहले से ही भारत की रामलीला, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार एवं दुर्गापूजा यूनेस्को की सूची मे शामिल है।

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