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- November 27, 2023
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26/11 मुंबई हमले में खून से लथपथ पड़े थे बेबी मोशे, माता-पिता की हो गई थी मौत, भारतीय महिला ने ऐसे बचाई थी जान
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26/11 मुंबई हमले में खून से लथपथ पड़े थे बेबी मोशे, माता-पिता की हो गई थी मौत, भारतीय महिला ने ऐसे बचाई थी जान
रविवार को 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले की 15वीं बरसी थी। इस काले दिन को आज भी भुलाया नहीं भूल सकता। जब दक्षिण मुंबई में 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से समुद्री मार्ग से आए 10 लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने यहूदियों के केंद्र चाबाड हाउस समेत कई जगहों पर हमले कर दिए थे। इस अंधाधुंध हमले में 6 यहूदियों और 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे। उस समय इस ताबड़तोड़ बंदूक की गूंज पूरी मुंबई में सुनाई दे रही थी। वहीं नरीमन हाउस हमले में उस दौरान 2 साल के मोशे होल्त्जबर्गने ने अपने माता-पिता को जिंदगी भर के लिए खो दिया था।
पीएम मोदी ने बेबी मोशे से की थी मुलाकात
अब मोशे होल्त्जबर्गने 17 साल के हो गए है और 2017 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल के दौरे पर गए थे, उस दौरान पीएम मोदी ने मोशे से भी मुलाकात की थी। अपने रिकॉर्ड किए गए संदेश में मोशे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझे गर्मजोशी से गले लगाया और वास्तव में उत्साहित हूं।
उन्होंने कहा कि मुझे मेरे दादा दादी के साथ भारत आने के लिए भी मोदी जी ने आमंत्रित किया है। इसके बाद जोशी ने 2008 में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा के दौरान अपने दादा-दादी के साथ भारत का दौरा किया था। एक दिन मुंबई में चबाड हाउस का निर्देशक बनने का सपना देखने वाले मोशे होल्त्जबर्गने ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी जी के गर्मजोशी और दयालुता के लिए उनका हमेशा आभारी रहूंगा।
भारतीय महीला आया सैंड्रा ने ऐसे बचाई थी जान
भारतीय आया सैंड्रा सैमुअल अपने इंटरव्यू में उस दिन को याद करते हुए बताया कि उन्होंने कैसे बेबी मोशे को बचाया था? वह बताती हैं कि 26 नवंबर को अचानक से गोलियों की गूंज सुनाई देने लगी है। जिससे डर कर में कमरे में छुप गई थी। आतंकियों ने मुंबई के नरीमन हाउस पर भी हमला किया था और उसे दौरान बेबी मोशे के पिता गैवरिएल होल्त्जबर्ग और मां रिवका यहूदी वहीं पर मौजूद थी।
आया सैंड्रा को मिली इजरायली नागरिकता
उसे दौरान आतंकवादियों ने बेबी मोशे के माता-पिता को गोलियों से भून दिया था। इस बीच आया सैंड्रा सैमुअल ने बेबी मोशे की रोते हुए आवाज सुनी और उसे बचाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर उसे गोद में लेकर वहां से भाग गई। बाद में बेबी मोशे अपने दादाजी के साथ वापस इजरायल चला गया और उनके साथ आया सैंड्रा सैमुअल भी चले गए। बेबी मोशे की जान बचाने के लिए इजरायल सरकार ने आया सैंड्रा सैमुअल को नागरिकता के साथ-साथ ‘राइटियस जेनटाइल’ का पुरस्कार भी प्रदान किया। यह सम्मान यहूदियों को दिया जाने वाला सबसे सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है।