त्योहारी सीजन के बीच ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, आरबीआई ने रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4 अक्टूबर को शुरू हुई। आज लगातार…

रेपो रेट क्या है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4 अक्टूबर को शुरू हुई। आज लगातार चौथी बार RBI ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। इससे पहले इसमें आखिरी बार फरवरी 2023 में बदलाव किया गया था और तब से यह 6.50 फीसदी पर बनी हुई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के इस फैसले से होम लोन की ईएमआई पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बाजार को यह भी उम्मीद थी कि आरबीआई इस बार भी दरें अपरिवर्तित रखेगा।

6 बार बढ़ोतरी के बाद आज चौथी बार कोई बदलाव नहीं

केंद्रीय बैंक आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच लगातार 6 बार रेपो रेट बढ़ाया था। मई 2022 में इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.90 फीसदी किया गया और अब 6.50 फीसदी है। इसे आखिरी बार फरवरी 2023 में 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था। तब से लगातार चौथी बार इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। मई 2022 से पहले की बात करें तो मई 2020 में रेपो रेट 4.40 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया गया था और उसके बाद से कोविड और बढ़ी महंगाई दर के कारण लंबे समय तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। फिलहाल रेपो रेट 6.50 फीसदी, एसडीएफ रेट 6.25 फीसदी, एमएसएफ रेट और बैंक रेट 6.75 फीसदी, रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है। वहीं सीआरआर और एसएलआर क्रमश: 4.50 फीसदी और 18 फीसदी है।

आरबीआई की मुख्य बातेंः

– केंद्रीय बैंक गवर्नर ने कहा है कि वित्त वर्ष 2024 में देश की जीडीपी 6.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है।

– वित्त वर्ष 2024 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ग्रामीण मांग में सुधार देखा गया है।

– निर्माण गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है। निजी क्षेत्र में CAPEX बढ़ा है। खरीफ फसल में अनिश्चितता से महंगाई पर असर।

– वैश्विक नजरिए से महंगाई दर पर असर पड़ा है। जुलाई महीने में टमाटर और सब्जियों के दाम से महंगाई का असर देखने को मिला।

रेपो रेट क्या है?

रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर भारत में राष्ट्रीयकृत सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं। मुद्रास्फीति बढ़ने के बाद आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है और मुद्रास्फीति दर गिरने पर इसे कम कर देता है। रिवर्स रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक अपनी जमा राशि आरबीआई के पास रखते हैं। रेपो दर का मतलब है कि जब वाणिज्यिक बैंकों को धन की कमी का सामना करना पड़ता है, तो वे आरबीआई द्वारा अनुमोदित प्रतिभूतियों जैसे ट्रेजरी बिल (उनकी वैधानिक तरलता अनुपात सीमा से ऊपर) को बेचकर एक दिन के लिए आरबीआई से उधार लेते हैं।

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