चंद्रमा पर कहां क्रैश हुआ रूस का लूना-25? NASA ने जारी की तस्वीर, दिखा 10 मीटर का गड्ढा

रूस को भारत से पहले चंद्रमा पर पहुंचना था, लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहा। सॉफ्ट लैंडिंग से पहले…

चंद्रमा पर कहां क्रैश हुआ रूस का लूना-25

रूस को भारत से पहले चंद्रमा पर पहुंचना था, लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहा। सॉफ्ट लैंडिंग से पहले उनका अंतरिक्ष यान लूना-25 19 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। वहीं, अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दावा किया है कि उसने उस जगह का पता लगा लिया है जहां रूसी चंद्र मिशन लूना-25 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने तस्वीर प्रकाशित कर यह दावा किया है।

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 21 अगस्त को लूना-25 के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना दी। इसके बाद, नासा की एलआरओ कैमरा टीम और एलआरओ मिशन ऑपरेशंस टीम ने साइट की तस्वीरें लेने के लिए एलआरओ अंतरिक्ष यान को आदेश भेजा। बाद में पता चला कि दुर्घटना से पहले और बाद की तस्वीरों में अंतर था।

घटनास्थल पर 10 मीटर का गड्ढा दिखा

दुर्घटना के बाद ली गई तस्वीरों में एक गड्ढा दिख रहा है। यह गड्ढा करीब 10 मीटर चौड़ा है। यह लैंडिंग स्थल से लगभग 400 किमी दूर है। नासा का दावा है कि चंद्रमा की सतह पर यह नया गड्ढा लूना-25 के दुर्घटनाग्रस्त होने से बना है।

रूस का लूना-25 दुर्घटनाग्रस्त

बता दें कि रूस ने 10 अगस्त को अपना चंद्र मिशन लूना-25 लॉन्च किया था। रूस का इरादा 21 अगस्त को लूना-25 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का था, लेकिन यह 19 अगस्त को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह 47 वर्षों में रूस का पहला चंद्र मिशन था। लेकिन लैंडिंग से पहले ही ये क्रैश हो गया। इसके साथ ही रूस का चंद्र मिशन विफल हो गया।

इससे पहले 1976 में रूस ने अपना पहला अंतरिक्ष यान लॉन्च किया था। बता दें कि 1957 में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) ने पहला मानव निर्मित उपग्रह ‘स्पूतनिक-1’ अंतरिक्ष में भेजा था। रूस के यूरी गगारिन 1961 में अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने।

23 अगस्त को भारत ने इतिहास रचा

चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही भारत दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया क्योंकि अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई नहीं पहुंच पाया था। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन ने चांद पर कदम तो रखा था, लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे।ॉ

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