गुजरात में अदाणी ग्रुप बना रहा दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क, चेयरमैन गौतम अदाणी ने की शेयर तस्वीरें

दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क– गुजरात के रेगिस्तानी इलाके कच्छ के रण में अदाणी ग्रुप दुनिया का सबसे…

दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क
दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क– गुजरात के रेगिस्तानी इलाके कच्छ के रण में अदाणी ग्रुप दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क बनाने जा रहा है। बता दें कि यह ग्रीन एनर्जी पार्क 726 वर्ग किमी में फैला हुआ होगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने एक पोस्ट में लिखा कि यह ग्रीन एनर्जी पार्क 2 करोड़ से अधिक घरों को बिजली देने के लिए 30 गीगावॉट पैदा करेगा। गौतम अदाणी ने आगे लिखा कि हम विश्व का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क बनाने जा रहे हैं एवं हमें रिन्यूएबल एनर्जी में भारत की प्रभावशाली प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर गर्व है। 726 वर्ग किमी में फैला चुनौतियों से भरे रण रेगिस्तान में बन रहा यह प्रोजेक्ट अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि हम 2 करोड़ से ज्यादा घरों को बिजली देने के लिए 30 गीगावॉट का उतेपादन करेंगे।

मुंद्रा में बन रहा रिन्यूएबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम/दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क

उन्होंने आगे बताया कि इसके अलावा हम सौर एवं पवन ऊर्जा के लिए 150 किलोमीटर दूर हमारी कर्मभूमि मुंद्रा में दुनिया के सबसे गहन एवं इंटीग्रेटेड रिन्यूएबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बना रहे है। भारत के सफर में सस्टेनेबल एनर्जी की दिशा में यह एक पड़ाव साबित होगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत पहल एवं सौलर एलायंस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होगी।

भारत की ग्रीन एनर्जी क्षमता में होगा इजाफा

बता दें कि अपनी पोस्ट के साथ गौतम अदाणी ने कुछ तस्वीरें भी साझा की है, जिसमें बड़े पैमाने पर चल रहे प्रोजेक्ट के काम को देखा जा सकता है। भारत की ग्रीन एनर्जी क्षमता में अदाणी समूह के इस प्रोजेक्ट से इजाफा होने की उम्मीद है। इसके अलावा COP में जलवायु संबंधित प्रतिज्ञाओं को पूरा करने में मदद भी मिलेगी।

भारत पंचामृत प्रतिज्ञा के लिए प्रतिबद्ध

2021 में आयोजित COP26 में भारत एक महत्वाकांक्षी पांच भाग वाली पंचामृत प्रतिज्ञा के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें रिन्यूएबल एनर्जी से एनर्जी की जरुरतों का तकरीबन आधा हिस्सा जनरेट करना, 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली की क्षमता तक पहुंचना एवं उत्सर्जन में साल 2030 तक 1 बिलियन टन की कटौती करना भी शामिल है।

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