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  • November 27, 2023
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देव दिवाली का मुहूर्त आज भी, प्रदोष काल में की जाती है शिव पूजा; जानें मुहूर्त और पूजा विधि

देव दिवाली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को प्रदोषव्यापी मुहूर्त में मनाई जाती है। इस साल देव…

देव दिवाली का मुहूर्त

देव दिवाली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को प्रदोषव्यापी मुहूर्त में मनाई जाती है। इस साल देव दिवाली 26 नवंबर को मनाई गई। वहीं आज यानी सोमवार को प्रदोषव्यापी मुहूर्त नहीं मिलेगा। इसलिए रविवार को देव दिवाली मनाई गई। इस दिन 3 योग बने, जो रवि योग, परिघ योग और शिव योग हैं। सुबह से दोपहर तक रवि योग रहा। परिघ योग दिवाली के अवसर पर किया जाता है।

देव दिवाली का शुभ मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: रविवार (दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से)
कार्तिक पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: सोमवार (दोपहर 02:45 बजे तक)
देव दिवाली पर दीवा लाइटिंग का समय: शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
रवि योग: सुबह 06:52 बजे से दोपहर 02:05 बजे तक
परिघ योग: रविवार सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक
शिव योग: देर रात 12:37 बजे से कल रात 11:39 बजे तक
स्वर्गीय भद्रा: सोमवार प्रातः 03:53 से 03:16 तक
भरणी नक्षत्र: प्रातः 02.05 बजे तक, तत्पश्चात कृतिका नक्षत्र

देव दिवाली कैसे मनाई जाती है? जानिए पूजा विधि

देव दिवाली के अवसर पर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करें। फिर भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। उन्हें बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत, फूल, माला, फल, शहद, चंदन आदि चढ़ाएं। घी का दीपक जलाकर दाहिनी ओर रखें। शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान दिवाली की कहानी सुनें, जिसमें उन्होंने राक्षस राजा त्रिपुरासुर का वध किया था।

शाम को सूर्यास्त के बाद किसी नदी या झील के किनारे जाएं। वहां भगवान शिव का स्मरण करें। फिर घी और रूनी बाती से मिट्टी का दीपक जलाएं। अपने घर के पूजा स्थल पर भी दिवाली का दीपक जलाएं। इसके अलावा आप अपने घर के पास किसी शिव मंदिर में भी भगवान दिवाली का दीपक जला सकते हैं।

देव दिवाली क्यों मनाई जाती है?

पौराणिक कथा के अनुसार त्रिपुरासुर के आतंक से सभी देवता भयभीत थे। तब भगवान शिव उन्हें आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए आगे आए। उनके द्वारा त्रिपुरासुर का वध किया गया। इसे मनाने के लिए सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी गए। वहां उन्होंने गंगा नदी में स्नान किया और शिव की पूजा की। फिर प्रदोष काल में घी का दीपक जलाया जाएगा। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा तिथि थी। इसलिए देव दीपावली हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में मनाई जाती है।

देव दिवाली पर वाराणसी के सभी घाटों पर शाम को दीपक जलाए जाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अन्य शहरों में भी नदी या झील घाटों पर देव दिवाली मनाई जाती है।

(नोट: यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित है।)

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