IMF रिपोर्ट को भारत ने बताया गलत, कहा- साल 2002 की तुलना में कम हुआ कर्ज; 2028 के लिए अनुमान गलत

IMF रिपोर्ट को भारत ने बताया गलत- IMF की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में भारत की आर्थिक स्थिति को…

IMF रिपोर्ट को भारत ने बताया गलत

IMF रिपोर्ट को भारत ने बताया गलत- IMF की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर बताया गया है कि भारत में सरकारी कर्ज बढ़ता जा रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का कर्ज साल 2028 तक GDP का 100 प्रतिशत हो सकता है। इन हालातों में कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा, लेकिन भारत ने भी अब बयान जारी कर IMF की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और इसे गलत बताया है।

शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने कहा कि IMF ने कुछ ऐसे अनुमान जताए हैं जो तथ्यात्मक स्थिति को नहीं दिखाते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि भारत का केंद्र और राज्य सरकार दोनों का कर्ज रुपये में है। इसके अतिरिक्त बाहर से लिया गया कर्ज पूरे कर्ज का बहुत ही छोटा हिस्सा है। मंत्रालय ने कहा है कि घरेलू कर्ज के लिए रोलओवर जोखिम कम है और इसे चुकाने के लिए कोई भी जोखिम नहीं है।

अपनी रिपोर्ट में IMF ने क्या कहा?

IMF ने भारतीय अधिकारियों के साथ एनुअल आर्टिकल IV पर परामर्श के बाद कहा कि देश का कर्ज विपरीत परिस्थितियों में वित्तीय वर्ष 2028 तक GDP के 100 फीसदी के बराबर हो जाएगा  रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत सरकार रुपये के मूल्य को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है। रुपये के मूल्य में दिसंबर 2022 एवं अक्टूबर 2023 के बीच बहुत छोटे दायरे में उतार-चढ़ाव आया।

भारत ने क्या जवाब दिया

IMF रिपोर्ट को भारत ने बताया गलत- वित्त मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट में कर्ज GDP के बराबर होने की बात तब कही गई है, जब कोई सदी में एक बार होने वाली आपदा आए जैसे कि कोविड-19। मंत्रालय ने बताया कि IMF सिर्फ सबसे खराब स्थिति के बारे में बात कर रहा था। मंत्रालय ने कहा कि IMF की रिपोर्ट में अन्य देशों के लिए भी खराब हालातों को दिखाया गया है। जैसे चीन में कर्ज उसकी GDP के 200 फीसदी, अमेरिका में 160 फीसदी, तो वहीं ब्रिटेन में 140 फीसदी पहुंच सकता है। साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि हालात अनुकूल रहते है तो सरकारी कर्ज GDP के 70 फीसदी तक भी गिर सकता है।

वित्त मंत्रालय ने बताया है कि कोविड-19 एवं रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अधिक प्रभाव डाला है। इसके बावजूद IMF ने कहा कि भारत ने बाकी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है। अभी भी भारत साल 2002 के कर्ज स्तर से नीचे ही है। जबकि सरकारी कर्ज भी काफी कम हुआ है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में ये 88 फीसदी था जो अव वित्तीय वर्ष 2022-23 में 81 फीसदी हो गया है।

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