पाकिस्तान आर्थिक दिवालियेपन की राह पर, जानें क्या होता है डिफॉल्टर होना और इसके बाद के उपाय

पाकिस्तान आर्थिक दिवालियेपन की राह पर, जानें क्या होता है डिफॉल्टर होना और इसके बाद के उपाय पिछले साल दक्षिण…

पाकिस्तान आर्थिक दिवालियेपन की राह पर, जानें क्या होता है डिफॉल्टर होना और इसके बाद के उपाय

पिछले साल दक्षिण एशियाई देश श्रीलंका आर्थिक दिवालियापन का शिकार हो गया था। बढ़ती महंगाई और बढ़ते कर्ज के बोझ के चलते आम नागरिकों ने राष्ट्रपति को देश से खदेड़ दिया था। लोग राष्ट्रपति भवन में घुसकर उत्पात मचाना शुरू कर दिया था। घटना का वीडियो पूरे विश्व में वायरल हो गया था। आर्थिक दिवालियेपन का शिकार इस देश के हालात को स्पष्ट तौर पर देखा जा रहा था। ठीक उसी तरह पाकिस्तान में ऐसे हालात बन रहे हैं। यहां भी महंगाई आसमान छू रही है। लोग सरकार से काफी नाराज हैं क्योंकि रोजमर्रे के सामान की कीमत प्रतिदिन बढ़ाए जा रहे हैं।

क्या आप जानते हैं कि आर्थिक दिवालियापन क्या होता है और किसी भी देश को आर्थिक दिवालपन घोषित किए जाने के क्या-क्या मानदंड होते हैं? डिफॉल्टर घोषित होने के बाद क्या-क्या नियम अपनाए जाते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.

आर्थिक दिवालियेपन की शुरुआत तब से शुरू हो जाती है, जब किसी देश का विदेशी मु्द्रा भंडार कम होने लगता है। विदेशी मुद्रा भंडार कम होने का मतलब है कि आप किसी भी चीज का निर्यात कम कर रहे हैं और आपको जरूरी सामानों का आयात करने के लिए मुद्रा कम पड़ रही है। स्वाभाविक है कि अगर आपके पास विदेशी मुद्रा कम होगी तो आप चीजों को महंगा करेंगे।

दूसरी शर्त है कि आपने किसी भी देश अथवा संस्था से कर्ज लिया है और उसे चुकाने के लिए आपके पास पैसे नहीं है। आपने उसके पैसे लौटाने में असमर्थता जाहिर कर दी, तब आपको दिवालिया घोषित किया जा सकता है। इसी तरह अगर कोई देश भारी कर्ज के नीचे दबा है और उसे भुगतान संकट का सामना करना पड़े तो उस देश को दिवालिया घोषित माना जाता है।

दिवालिया होने के बाद क्या होता है?

अगर किसी देश को आर्थिक तौर पर दिवालिया घोषित किया जाता है तो वहां पर राजनीतिक अस्थिरता आना तय है। क्योंकि इससे महंगाई और बेरोजगारी बढ़ेगी। ऐसे में लोग बैंकों से पैसे निकालना शुरू कर देंगे। अगर इस पर बैंक लेन-देन को लेकर कोई कंट्रोल करेगा तो लोग सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आएंगे और इससे सत्ता पर संकट आ जाएगा। श्रीलंका के मामले में ऐसा ही हुआ था।

अगर कोई देश दिवालिया घोषित होता है तो विदेशों में मौजूद उसकी प्रॉपर्टी की निलामी की जाती है ताकि उसकी भरपाई की जा सके। ध्यान रहे, इसके लिए उस देश की सहमति अनिवार्य होती है। अगर कोई देश कर्ज में डूबता है तो उसे फिर अन्य कर्ज लेने में परेशानी होती है। या कहें कि उसे कर्ज मिलना बंद हो जाता है और उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की बात मानने के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं होता है।

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