पवित्र सेंगोल को छड़ी बनाकर रखा था, आज मिला ‘सम्मान’ पीएम मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया। उद्घाटन की पूर्व संध्या पर तमिलनाडु के 21 अधिनम…

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया। उद्घाटन की पूर्व संध्या पर तमिलनाडु के 21 अधिनम सेंगोल को सौंपने के लिए पीएम मोदी से उनके आवास पर मिलने पहुंचे थे। महंत से बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि सेंगोल हमें कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा देगा। सेंगोल को छड़ी कहा जाता था, लेकिन आज सेंगोल को उचित सम्मान मिल रहा है।

Pavitra Sengol was kept as a stick, got 'respect' today PM Modi's big attack on Congress
सेंगोल को आज उचित सम्मान मिला

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘तमिलनाडु ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वह महत्व नहीं दिया गया, जिसके वह हकदार थे। उन्होंने कहा कि तमिल परंपरा में शासन करने वाले व्यक्ति को सेंगोल दिया जाता था। एक सेंगोल प्रतीक। ऐसा कहा जाता था कि जो व्यक्ति इसे मान लेता है वह देश के कल्याण के लिए जिम्मेदार होता है और कर्तव्य पथ से कभी विचलित नहीं होगा।

जानें क्या है इस सेंगोल की कहानी

14 अगस्त 1947 से जुड़ी कहानी बताते हुए अमित शाह ने कहा कि 75 साल बाद भी देश के नागरिकों को सेंगोल से जुड़ी ऐतिहासिक कहानी का पता नहीं है। जब इस परंपरा की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को मिली तो, उन्होंने इस पर गहराई से विचार किया और जांच के आदेश दिए। इसके बाद निर्णय लिया गया कि इस गौरवमयी प्रसंग को देश के नागरिकों के सामने रखना चाहिए, क्योंकि सेंगोल हमारे इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेंगोल अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है।

सेंगोल क्या है

14 अगस्त 1947 को देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को बनाया गया और जब 1947 में भारत को आजादी देने का फैसला हुआ। तब लॉर्ड माउंटबेटन को इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भारत का गवर्नर जनरल बनाकर भेजा गया। लेकिन माउंटबेटन भारतीय संस्कृति रीति-रिवाजों से अवगत नहीं थे, तो उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से एक सवाल किया कि सत्ता का हस्तांतरण के लिए कौन सा समारोह आयोजित किया जाता है। चूंकि जवाहरलाल नेहरु जी को भी सत्ता हस्तांतरण की रीति रिवाजों का पता नहीं था, इसलिए उन्होंने थोड़ा समय मांगा और फिर जवाहरलाल नेहरू ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय संस्कृति के विद्वान सी राजगोपालाचारी को बुलाया।

फिर ऐसे हुआ सत्ता हस्तांतरण

सत्ता हस्तांतरण की रीति-रिवाजों का पता करने के लिए सी राजगोपालचारी ने कई किताबें पढ़ी और ऐतिहासिक परंपराओं को जाना और समझा। उन्होंने कई साम्राज्य की कहानी पढ़कर सेंगोल सौंपने की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को बताया कि भारत में सैंगोल के माध्यम से सत्ता का हस्तांतरण किया जाता है। फिर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु से आए विद्वानों से सेंगोल का सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया को पूर्ण किया। उन्होंने इसे अंग्रेजों से भारत की सत्ता प्राप्त करने के प्रतीक के रूप में विधि विधान के साथ 14 अगस्त 1947 की रात को कई विद्वान नेताओं की उपस्थिति में इस सेंगोल लेकर इस प्रक्रिया को पूरा किया।

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