- ख़बरें
- February 2, 2023
- No Comment
- 1 minute read
वित्त मंत्री ने इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिया संकल्प, जानें क्या है सिकल सेल एनीमिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023-24 के दौरान हेल्थ बजट पेश करते हुए सिकल सेल एनीमिया को साल 2047…
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023-24 के दौरान हेल्थ बजट पेश करते हुए सिकल सेल एनीमिया को साल 2047 तक भारत से जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऐसे में आपको ये जानना जरूरी है कि आखिर ये रोग क्या है? सिकल सेल एनीमिया से कौन-कौन पीड़ित हो सकता है और मौजूदा समय में भारत में इसकी क्या स्थिति है?
प्रतिष्ठित फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी के गुप्ता का कहना है कि इस बार के बजट में जिक्र किया गया है कि आदिवासी क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले 0 से लेकर 40 साल की उम्र तक के 7 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। वहीं अब सरकार ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का संकल्प ले लिया है। आपको बता दें कि सिकल सेल एनीमिया से पहले भारत से पोलियो जैसी गंभीर बीमारी खत्म हो चुकी है। ऐसे में उम्मीद लगाई जा सकती है कि इससे भी भारत को जल्द ही निजात मिलेगी।
सिकल सेल एनीमिया को जानें
सिकल सेल एनीमिया एक तरह से खून की कमी से संबंधित बीमारी है। आपको बता दें कि अनुवांशिक डिसऑर्डर में ब्लड सेल या तो टूट जाती है या उसका साइज और शेप बदलने लग जाता है। इसके चलते खून की नसों में ब्लॉकेज हो जाता है। सिकल सेल एनीमिया से ग्रस्त रोगी के रेड ब्लड सेल भी मर जाते हैं और शरीर में खून की कमी हो जाती है। अनुवांशिक बीमारी की वजह से शरीर में खून बनना भी बंद हो जाता है। खून की कमी की वजह से ये शरीर के कई अन्य आवश्यक अंगों को डैमेज कर देता है। इन अंगों में किडनी, स्पिलीन स्पेलिंग और लीवर जैसे जरूरी अंग शामिल हैं।
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण लगभग 6 महीने की उम्र में दिखाई देते हैं। ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। सिकल सेल आसानी से टूटते हैं और मर जाते हैं, जिससे थकान और कमजोरी होती है। इसके साथ ही, शरीर में दर्द, हाथ-पैरों में सूजन, बार-बार बैक्टिरियल इंफैक्शन होना आम बात है। इसके साथ ही इस बीमारी की वजह से किशोरों में युवावस्था का देरी से आना या प्यूबर्टी की समस्या होती है।
भारत में इसकी वर्तमान स्थिति
एनएचएफएस के आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2016 के बीच करीब 58.4% बच्चे और 53% महिलाएं सिकल सेल एनीमिया के शिकार हुए हैं। वहीं, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत की 3 प्रतिशत जनजातीय आबादी इस बीमारी की चपेट में आया है। साल 2018 में इस बीमारी पर सरकार का ध्यान गया। हालांकि 1970 के दशक के बाद से यह बीमारी भारत में तेजी से फैली है। अब सरकार ने इसको लेकर सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है।