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- February 26, 2023
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फिर बढ़ेगी सभी लोन की EMI! आरबीआई गवर्नर ने दिए रेपो रेट बढ़ाने के संकेत
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने आने वाले दिनों में महंगाई को लेकर अनिश्चितता जताई है। इस वजह से आरबीआई…
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने आने वाले दिनों में महंगाई को लेकर अनिश्चितता जताई है। इस वजह से आरबीआई ने संकेत दिया है कि संभवतः कुछ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। इस वजह से कर्ज की ईएमआई फिर से बढ़ने वाली है। देश में सीपीआई पिछले महीने बढ़कर 6.52% हो गई। इस वजह से रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी किए जाने की आशंका है।
बढ़ती महंगाई है चिंता का विषय
सीधे शब्दों में कहें तो देश के लोगों को महंगे कर्ज से राहत नहीं मिल रही है। फरवरी की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने MPC की बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी किया था। हालांकि, महंगाई रिजर्व बैंक के दायरे में आ गई। लेकिन अब जब महंगाई दर एक बार फिर लक्ष्य को पार कर गई है तो इस बात की पूरी संभावना है कि आरबीआई एक बार फिर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला कर सकता है।
वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते महंगाई दर में फिर से उछाल ने आरबीआई की चिंता बढ़ा दी है। एमपीसी की बैठक बुधवार को हुई थी। इस बैठक में ब्यौरे के मुताबिक शक्तिकांत दास ने इस दौरान जो संकेत दिए हैं, उससे वे एक बार फिर जनता को झकझोर सकते हैं. विस्तार से बताते हुए उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती कीमतों के साथा-साथ महंगाई की अनिश्चितत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इसे नियंत्रण में लाने के लिए आने वाले दिनों में ब्याज दर में बढ़ोतरी की गुंजाइश है।
रेपो रेट बढ़ने से ईएमआई बढ़ती है
आरबीआई द्वारा तय की गई रेपो रेट का सीधा असर बैंक कर्ज पर पड़ता है। जब यह घटता है तो कर्ज काफी सस्ता हो जाता है। जब ये बढ़ता है तो उसके बाद बैंक अपना कर्ज भी महंगा करता है। इस पर्सनल लोन, होम लोन, ऑटो लोन जैसे लोन को इफेक्ट करता है। यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि रेपो दर वह दर है जिस उपर रिजर्व बेंक ओफ ईन्डीया बैंकों को उधार देता है, जबकि रिवर्स के रेपो रेट यानी दर वह दर है जिस पर रिजर्व बेंक ओफ ईन्डीया बैंकों को पैसा रखने के लिए ब्याज देता है। रेपो रेट में गिरावट से लोन की EMI कम हो जाती है, और रेपो के रेट में बात करे तो उसमे बढ़ोतरी आती है तो सभी लोन महंगे हो जाते है और लोन महंगे होने से उसके बदले में ईएमआई बढ़ती है।