8 महीने 23 आत्महत्या! दरवाजा तोड़ा तो फंदे पर लटका मिला किशोरी का शव, 5 माह पहले पहुंची थी कोटा

राजस्थान का कोटा शहर न सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मशहूर है, बल्कि अब यह शहर सुसाइड सिटी के तौर…

आत्महत्या

राजस्थान का कोटा शहर न सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मशहूर है, बल्कि अब यह शहर सुसाइड सिटी के तौर पर भी बदनाम हो रहा है। आत्महत्या का मामला यहां थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस साल के पिछले आठ महीनों में यहां 23 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें 23वीं आत्महत्या मंगलवार को हुई। इस बार NEET की तैयारी करने आए एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली है। छात्रा पांच माह पहले ही यहां आई थी और विज्ञान नगर थाना क्षेत्र स्थित एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर रही थी।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रा के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। छात्रा झारखंड की रहने वाली थी। पुलिस ने छात्रा के परिजनों को सूचना देने के साथ ही घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, इस साल कोटा में छात्रों में आत्महत्याओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इस साल अकेले 23 छात्रों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है।

विज्ञान नगर थाने के एएसआई अमर कुमार ने बताया कि छात्रा की पहचान झारखंड के रांची की मूल निवासी ऋचा सिन्हा (16) के रूप में हुई है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि ऋचा पांच महीने पहले मई में नीट की तैयारी के लिए कोटा आई थी। यहां उसने इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स स्थित एक हॉस्टल में कमरा ले लिया। पड़ोस में रहने वाली अन्य छात्राओं से पूछताछ में पता चला कि वह मंगलवार शाम से कमरे से बाहर नहीं निकली थी।

पुलिस ने कमरे तोड़कर शव को निकाला

बुधवार की सुबह शक होने पर दरवाजे की ओर झांका गया तो कमरे की हालत देखकर दरवाजा तोड़ा गया। मौके पर मौजूद आसपास मौजूद लोगों ने उसे फंदे से उतारकर अस्पताल पहुंचाया, जहां से पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने बताया कि घटना मंगलवार देर रात की है। पुलिस को तलवंडी के एक निजी अस्पताल से सूचना मिली। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस ने बताया कि शव को शवगृह में रखवा दिया गया है। परिजनों के आने के बाद पोस्टमार्टम कराया जाएगा।

बच्चों पर अपनी इच्छा न थोपें

वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक एवं परामर्शदाता डॉ. आभा अवस्थी कहती हैं कि समस्या की जड़ में माता-पिता हैं। यदि वे अपनी इच्छा थोपना बंद कर दें तो उनका बच्चा आसानी से दूसरे क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन माता-पिता अपने बच्चे का करियर उस उम्र में तय करते हैं, जब उसे करियर के बारे में पता भी नहीं होता। वह कहती हैं कि 15-16 साल का बच्चा अचानक घर से निकल कर हॉस्टल में रहता है और अकेलापन महसूस करता है। यहां तक कि फोन पर अभिभावक भी खाना मांगने और टेस्ट में कितने नंबर आए, यह पूछने से खुद को रोक नहीं पाते।

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