- राजनीति
- August 1, 2023
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पटना हाईकोर्ट में बिहार सरकार की बड़ी जीत, राज्य में जातीय जनगणना कराने का रास्ता साफ
पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित जनगणना कराए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती देनेवाली सभी याचिकाओं…
पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित जनगणना कराए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती देनेवाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस तरह कोर्ट में बिहार सरकार की जीत हुई और अब राज्य में जाति आधारित जनगणना संभव हो सकेगी। हालांकि ये याचिकाकर्ता अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
बिहार सरकार ने क्या दिए तर्क
बता दें, नीतीश सरकार ने राज्य में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया था, जिसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं और इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इसको लेकर पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार की तरफ कई तर्क दिए गए। इसमें कहा गया कि इसका मकसद आम जनता के बारे में सामाजिक अध्ययन के लिए आंकड़े जुटाना है। इसका उपयोग आम लोगों के कल्याण और हित के लिए किया जाएगा। ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। इस सर्वेक्षण से किसी की निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है।
हाईकोर्ट का 25 दिन बाद आया फैसला
बता दें, 3 जुलाई से पटना हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी करते इस मसले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब 25 दिन बाद मंगलवार को इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया। जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने लगातार पांच दिनों तक सुनवाई की। इसके बाद इस पर अंतिम निर्णय आया।
केंद्र सरकार का क्या है कहना
बिहार सरकार ने पहले 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास कराया था। केंद्र सरकार इसके विरोध में है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया था कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी। केंद्र का कहना है कि ओबीसी जातियों की गणना लंबा और कठिन है। जबकि बिहार सरकार ने पिछले साल जातिय जनगणना कराने का फैसला लिया था। इसका काम इसी साल जनवरी में शुरू हुआ था और लगभग मई तक पूरा हो जाना था। लेकिन याचिका दायर किए जाने के कारण इस पर पटना हाईकोर्ट ने तब रोक लगा दी थी।