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- June 26, 2023
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‘इस्लाम में लिव-इन और शादी पूर्व सेक्स गलत’, मुस्लिम पुरुष के साथ रह रही हिंदू महिला की याचिका खारिज
लिव-इन और शादी से पहले शारीरिक संबंध को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस्लाम में गलत बता दिया…
लिव-इन और शादी से पहले शारीरिक संबंध को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस्लाम में गलत बता दिया है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने इस्लाम में लिव-इन रिलेशनशिप के कांसेप्ट को ही नकार दिया। दरअसल, एक लिव-इन कपल ने अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर लखनऊ बेंच ने जवाब देते हुए कहा कि यह एक सामाजिक समस्या है, जिसे सामाजिक तौर पर ही सुलझाया जा सकता है, इसके लिए किसी याचिका की जरूरत नहीं है।
बता दें, याचिकाकर्ता 29 वर्षीय हिंदू महिला अपने 30 वर्षीय मुस्लिम पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहती है। महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि पुलिस उसे परेशान कर रही है और उसे सुरक्षा दी जाए। महिला की मां ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई, जिसका जिक्र याचिका में किया गया है। इसमें महिला ने मांग की है कि पुलिस उसे परेशान न करे और सुरक्षा मुहैया कराए, क्योंकि दोनों बालिग हैं और खुशी-खुशी रह रही है। महिला ने यह भी कहा कि उसकी मां इस रिश्ते से खुश नहीं थी।
याचिका का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने यह नहीं बताया है कि वे भविष्य में एक-दूसरे से शादी करेंगे या करना चाहते हैं। इस्लाम के अनुसार बिना शादी के यौन संबंध को मान्यता नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने ज़िना को परिभाषित करते हुए यह भी कहा कि पति-पत्नी के बाहर किसी भी प्रकार के सेक्स या शारीरिक संबंध, विवाहेतर सेक्स और पैरामेट्रियल सेक्स को कानूनी मान्यता नहीं मिलती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई ऐसा करता है तो कुरान में अविवाहित पुरुष के लिए 100 कोड़े मारने और महिला के लिए पत्थर मारकर हत्या करने की सजा है।
कोर्ट ने फैसले पर विवाद पैदा होने की बात कही
इसलिए कोर्ट ऐसे किसी आवेदन पर विचार नहीं कर सकता, जिसमें विवाद की स्थिति पैदा हो और न्याय की उम्मीद न की जा सके। इसलिए कोर्ट उस आवेदन को खारिज कर देता है। यदि आवेदक पुलिस या उचित फोरम में अपना दावा दायर करता है। तो शायद उनकी शिकायत पर विचार किया जा सकता है।