जिम जाने वाले 7 पुरुषों में एक की प्रजनन क्षमता कमजोर, रिसर्च रिपोर्ट में शॉकिंग खुलासे; जानिए क्या है बड़ी वजह

हाल ही में एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जिम जाने वाले हर 7 पुरुषों में से…

जिम

हाल ही में एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जिम जाने वाले हर 7 पुरुषों में से एक पुरुष की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इस रिसर्च में जिम और पुरुषों की फर्टिलिटी रेशियो पर चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। आइए जानते हैं, जिम जाने वालों पर क्या कहती है रिसर्च रिपोर्ट।

रिपोर्ट में क्या आया सामने

हाल ही में रिप्रोडक्टिव बायोमेडिसिन ऑनलाइन में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसमें शामिल लोगों ने जो उत्तर दिए हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर पुरुषों को अपनी लाइफ स्टाइल और प्रजनन क्षमता के खतरों के बारे में कम ही जानकारी होती है। जिम जाने वाले 79% पुरुष एस्ट्रोजन का उपयोग करते हैं, लेकिन इसके नफा-नुकसान के बारे में इनको कम ही जानकारी होते हैं। इसी रिसर्च में करीब 14% लोगों ने यह भी कहा कि जिम जाने वालों की प्रजनन क्षमता तो बेहतर ही होती है।

आंकड़े यह बताते हैं कि जिम जाने वालों के लिए जिम की टाइमिंग और वहां क्या करते हैं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उनके लिए प्रजनन क्षमता के बारे में सोचना महत्वपूर्ण नहीं है। इस बीच महिला प्रतिभागियों ने पुरुषों की प्रजनन क्षमता और जिम वाली लाइफस्टाइल पर ज्यादा जागरूकता दिखाई। आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स।

प्रोटीन सप्लीमेंट का बढ़ता उपयोग चिंताजनक

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के डॉ. म्यूरिग गैलाधेर और रिसर्च के राइटर ने बताया कि स्वस्थ रहना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना अच्छी बात है, लेकिन पुरुष प्रजनन क्षमता के संदर्भ में सबसे बड़ी चिंता प्रोटीन सप्लीमेंट के बढ़ते उपयोग को लेकर मुख्य चिंता महिला हार्मोन एस्ट्रोजन का हाई लेवल है, जो प्रोटीन की जरूरत को पूरी करने के लिए लिया जाता है।

शुक्राणुओं की संख्या हो रही कम

लेकिन अगर महिलाओं में यह हार्मोन ज्यादा हो जाए तो पुरुषों की प्रजनन क्षमता और गुणवत्ता इससे प्रभावित होती है। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि जिम जाने वाले प्रोटीन एनाबॉलिक स्टेरॉयड की वजह से खतरनाक होता है, क्योंकि इससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और अंडकोष भी सिकुड़ने लगते हैं।

WHO विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बांझपन बढ़ती चिंताओं का सबसे बड़ा विषय है। दुनिया में हर 7 में से 1 पुरुष इस समस्या का सामना कर रहा है।

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